वाशिंगटन: ईरान पर फिर से संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक प्रतिबंध लगवाने की अमेरिकी मुहिम खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है. अमेरिका के हर फैसले पर उसका साथ देने वाले ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने इस मसले पर साथ देने से मना कर चुका है. तीनों यूरोपीय देशों ने यह बात संयुक्त बयान में बोला है कि समझौते में शामिल रूस और चीन पहले से ईरान पर किसी तरह के प्रतिबंध के विरुद्ध हैं.
सन 2015 में दुनिया के 6 शक्तिशाली देशों ने ईरान के साथ समझौता कर उस पर लगे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध हटा दिए गए है. समझौते के मुताबिक ईरान को परमाणु हथियार के विकास की प्रक्रिया रोक देनी थी और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की दिशा में कदम बढ़ा रहे है. लेकिन 2016 में चुनाव जीते अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समझौते के सख्त विरुद्ध थे और मई 2018 में उन्होंने अमेरिका को इस समझौते से अलग किया जा चुका है. साथ ही ईरान पर कड़े आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगाए जा चुके है. लेकिन समझौते में मौजूद बाकी के देश अमेरिका के इस कदम से सहमत नहीं थे और वे अमेरिका अर्थव्यवस्था से इतर ईरान के साथ संबंध कायम कर रहे है.
अमेरिका ने तीनों देशों पर जताई हैरानी: गुरुवार को अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर ईरान पर फिर से वैश्विक प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने बताया है कि ईरान के संबंध जिस तरह से चीन और रूस के साथ बढ़ रहे हैं, उनसे संकट पैदा हो गया है कि वह दोनों देशों से घातक हथियार लेकर उन मिलीशिया तक पहुंचाना शुरू कर देगा, जो उसके इशारे पर विश्व के कई क्षेत्रों में लड़ रही हैं. अमेरिका ने अपने सहयोगी 3 देशों के रुख पर हैरानी जताई है, क्योंकि इनमें से ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के सदस्य भी हैं. दोनों देशों के इस रुख से सुरक्षा परिषद में अब अमेरिका के प्रस्ताव के गिरने का खतरा पैदा हो गया है. क्योंकि रूस और चीन पहले से ही ईरान पर प्रतिबंधों के खिलाफ हैं.
ईरान को अमेरिका ने दिया बड़ा झटका