तत्कालीन राज्यसभा के सभापति के तौर पर 73 साल के उप राष्ट्रपति एम। वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। जी दरअसल उनकी हाजिर जवाबी से सदन में भी लोगों को हंसते हुए देखा गया। इसी के साथ दोनों पक्षों के बीच आपसी गहरी कलह और अविश्वास के समय भी उन्होंने एकजुट करने का काम किया। सदन में महंगाई को लेकर होने वाले हंगामे पर उनकी हालिया टिप्पणी काफी चर्चा में रही। ऐसे में हाल ही में उन्होंने कहा, "मेरा कामकाज आपके सहयोग पर निर्भर है, नहीं तो मतभेद हो जाएगा।"
हालांकि, नायडू को एक ऐसे उपराष्ट्रपति के रूप में देखा जाता था जिन्होंने राज्यसभा की सिर झुकाकर, रेफरी की भूमिका निभाई। इसी के साथ उनके आलोचकों का कहना है कि एक संवैधानिक भूमिका के बावजूद, नायडू का प्रेम कभी भी भाजपा के लिए कम नहीं हुआ।
आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति बनने से पहले उस पार्टी में उन्होंने कई दशकों तक सेवा की। वह मानते हैं कि वह राज्यसभा के सबसे मिलनसार अध्यक्षों में से हैं। आपको यह भी बता दें कि 6 अगस्त को नये उपराष्ट्रपति का चुनाव हो गया है। इसमें एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को बड़ी जीत मिली है। आपको बता दें कि धनखड़ 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।
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