मुंबई: एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने हाल ही में सोलापुर के मर्करवाडी गांव का दौरा किया, जो हाल ही में ईवीएम विवाद के कारण चर्चा में था। इस गांव में एक मॉक-पोल आयोजित किया गया था, जिसमें स्थानीय लोग बैलट पेपर के जरिए मतदान करना चाहते थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार को ईवीएम से ज्यादा वोट मिले। हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोक दिया था और उन पर मामले दर्ज किए गए थे।
शरद पवार ने मर्करवाडी में इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि हाल के दिनों में संसद में मर्करवाडी का नाम बार-बार लिया जा रहा है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर अमेरिका और ब्रिटेन का हवाला देते हुए कहा कि बड़े देशों में बैलट पेपर से मतदान होता है, जबकि भारत में ईवीएम का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। पवार ने यह भी सवाल उठाया कि मर्करवाडी में लोग वोटिंग करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने इसे रोक दिया। उन्होंने इस पर ताज्जुब जताया और कहा, "मैं ईवीएम पर भाषण दे रहा था और मुझे रोका गया, यह समझ से परे है।"
इस विवाद पर पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि लोकसभा चुनाव में जब उनकी पार्टी की सीटें कम हुई थीं, तो उन्होंने ईवीएम में कोई समस्या नहीं उठाई। शिंदे ने कहा कि चुनाव हारने के बाद ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे जनता का विश्वास घटता है। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे ईवीएम को लेकर अपनी आलोचना बंद करें और चुनाव के नतीजों को स्वीकार करें।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेख बावनकुले ने भी शरद पवार के बयान पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि शरद पवार को अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए, क्योंकि उनका अभियान असफल हो गया है और लोगों ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया है। बावनकुले ने यह भी कहा कि पवार अगले चुनावों में भी हारने वाले हैं।