वाशिंगटन: रूस और यूक्रेन के बीच बीते 10 महीनों से जंग जारी है, जिससे पूरी दुनिया पर आर्थिक और खाद्य संकट मंडराने लगा है। अब रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि एक नया युद्ध भी शुरू हो सकता है। अमेरिका और इजरायल का ईरान के साथ होने वाला टकराव इसका कारण माना जा रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार (4 दिसंबर) को कहा कि नवनिर्वाचित पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मतभेदों के बाद भी अमेरिका, इज़राइल का समर्थन करने से पीछे नहीं हटेगा।
लेफ्ट समर्थित एक ग्रुप से बात करते हुए अंटोनी ब्लिंकन ने कहा कि कुछ दक्षिणपंथियों ने फिलिस्तीनियों और ईरान के प्रति ज्यादा सहानुभूति रखने का इल्जाम लगाया है। उन्होंने आगे कहा कि, ‘अमेरिका, इज़राइल का एक पक्का मित्र बना रहेगा, भले ही हम उन मुद्दों का समाधान करना चाहते है, जिनका नेतन्याहू ने विरोध किया है, जैसे इज़राइल-फिलिस्तीनी संघर्ष का हल और ठप पड़े 2015 के ईरान परमाणु समझौते की बहाली।’
ब्लिंकन ने कहा कि, ‘हमारे देशों और दुनियाभर के लोगों के हुई अमेरिका-इज़राइल साझेदारी और अन्य प्रत्येक पहल के वास्ते अमेरिका हमेशा इज़राइल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। यह एक ऐसी प्रतिबद्धता है, जो आज से पहले कभी इतनी मजबूत नहीं थी।’ ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन नेतन्याहू की सरकार के साथ उनकी नीतियों के आधार पर वार्ता करेगा, व्यक्तिगत आधार पर नहीं। बता दें कि अमेरिका हमेशा से ही इजरायल का समर्थन करता रहा है। वहीं दोनों देशों के बीच दुश्मन का दुश्मन, दोस्त वाली भी बात है।
बता दें कि, ईरान और इजरायल कट्टर शत्रु हैं। अमेरिका और ईरान की दुश्मनी भी जगजाहिर है। ऐसे में अमेरिका हर बात में इजरायल का साथ देता है। बात करें रूस और यूक्रेन के युद्ध की तो इसमें भी गुटबंदी हो चुकी है। एक ओर ईरान, रूस की सहायता कर रहा है और घातक ड्रोन मुहैया करवा रहा है। तो वहीं, दूसरी ओर इजरायल, यूक्रेन को इन ड्रोन से निपटने के उपकरण प्रदान कर रहा है। इजरायल ने कहा है कि वह ईरान के हथियारों से टक्कर लेना भली-भांति से जानता है।
क्यों हो सकता है युद्ध ?
इस टकराव के तीन प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला है परमाणु डील पर नाकामी। दूसरा कारण है रूस की सेना को ईरानी ड्रोन की आपूर्ति। इसका इस्तेमाल करके रूस लगातार यूक्रेन पर अटैक कर रहा है। तीसरा कारण हिजाब को लेकर ईरानी सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन। इस आंदोलन में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं ईरान इस आंदोलन के लिए भी अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहा है।
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