मानव मस्तिष्क न्यूरॉन्स और सिनैप्स का एक जटिल नेटवर्क है जो अनुभवों और सीखने के जवाब में लगातार अनुकूलित और पुनर्गठित होता है। न्यूरोसाइंस में एक पुरानी कहावत है: "neurons that fire together wire together." इसका मतलब है- जितना ज्यादा आप अपने दिमाग में न्यूरो-सर्किट चलाते हैं, वह सर्किट उतना ही मजबूत होता जाता है. जो इस विचार को रेखांकित करता है कि कुछ तंत्रिका सर्किटों की बार-बार सक्रियता उन्हें समय के साथ मजबूत करती है। इसे "सिनैप्टिक प्रूनिंग" कहा जाता है. आइये जानते हैं, ये कैसे काम करता है.
दिमाग कैसे करता है अपनी सफाई?
कल्पना कीजिए कि आपका दिमाग एक बगीचा है, बस इसमें फूल, फल तथा सब्जियां उगाने की जगह, आप न्यूरॉन्स के बीच सिनैप्टिक कनेक्शन विकसित करते हैं, जिनका कनेक्शन, डोपामाइन, सेरोटोनिन और ऐसे ही अन्य न्यूरोट्रांसमीटर से होता है और "ग्लिअल कोशिकाएं" आपके दिमाग की माली हैं - वे कुछ न्यूरॉन्स के बीच संकेतों को तेज़ करने का काम करती हैं. वहीं, अन्य ग्लियाल कोशिकाएं अपशिष्ट हटाने वाली, खरपतवार निकालने वाली, कीटों को मारने वाली, मृत पत्तियों को इकट्ठा करने वाली होती हैं. हालांकि, दिमाग किस प्रकार से ये निर्धारित करता था कि उस कौन सी चीजें हटानी हैं, इस पर अभी रिसर्च चल रही है.
आपके दिमाग की छंटाई करने वाले माली को "माइक्रोग्लियल कोशिकाएं" बोला जाता है. वे आपके सिनैप्टिक कनेक्शनों की काट-छांट करते हैं. यानी यही "माइक्रोग्लियल कोशिकाएं" आपके दिमाग का डिलीट बटन है, जो आपकी बुरी यादों की कटाई-छटाई करता है. इस तरह आपका दिमाग आपके लिए कुछ नया सीखने के लिए जगह बनाता है जिससे आप और ज्यादा सीख सकें.
बेहद जरूरी है अच्छी नींद
वहीं जब आप कुछ नया सीखते हैं तो आपको एक समय के पश्चात् एहसास होता है कि आपका दिमाग अब भर गया है. इससे अधिक आपका दिमाग काम नहीं कर पाएगा. तो जब आप कुछ नया सीखते हैं तथा आपका दिमाग भर जाता है तो दिमाग का माली यानी "माइक्रोग्लियल कोशिकाएं" कटाई-छटाई शुरू कर देती हैं. हालांकि, इसके बाद आराम भी आवश्यक है. जब आप सोते हैं तो आपका दिमाग अपनी सफाई करता है इसीलिए एक अच्छी नींद बेहद आवश्यक है.
सोते में होती है दिमाग की सफाई
जब आप सोते हैं तो आपके दिमाग की कोशिकाएं 60 प्रतिशत तक सिकुड़ जाती हैं ताकि माली अंदर आ सके तथा कचरा ले जा सकें. इस प्रकार वे सिनेप्सेस की काट-छांट करते हैं. आपने महसूस किया होगा कि जब आप एक अच्छी नींद लेकर उठते हैं तो आप सही से सोचने में सक्षम होते हैं. यही वजह हैं कि क्षमताओं को बढ़ाने के लिए काम के बीच में छोटी नींद (Nap) को अहम माना जाता है. 10 या 20 मिनट की झपकी आपके माइक्रोग्लियल माली को अंदर आने और इस्तेमाल में न आने वाले कनेक्शन को साफ़ करने और नए कनेक्शन बनाने के लिए जगह बनाती है.
कुल मिलाकर किसी चीज़ को हटाने यानी डिलीट करने के लिए बस उसके बारे में सोचना बंद कर दें. जब आपको वो चीजें याद आए तो अपने दिमाग को कुछ नया सीखने में लगाएं. इसके लिए आप कोई अच्छी पुस्तक पढ़ सकते हैं या कुछ नया सीखने में दिमाग लगा सकते हैं या वो कर सकते हैं, जो आपको खुशी देता हो. ऐसा करने से आप कड़वी यादों को भूल सकते हैं या इस हालत में पहुंच सकते हैं कि कड़वी यादें आप पर प्रभाव डालना बंद कर देंगी. इसके लिए अच्छी नींद और नया सीखते रहना आवश्यक है.
निष्कर्ष में, जबकि सीखे गए व्यवहार से जुड़े तंत्रिका सर्किट को मजबूत करने के लिए अभ्यास आवश्यक है, सिनैप्टिक प्रूनिंग न्यूरोनल संसाधनों के कुशल आवंटन को सुनिश्चित करता है और चल रहे सीखने और अनुकूलन की सुविधा प्रदान करता है। नींद और नवीन सीखने के अनुभवों दोनों को प्राथमिकता देकर, व्यक्ति मस्तिष्क की प्लास्टिसिटी की जन्मजात क्षमता का उपयोग कर सकते हैं और जीवन भर संज्ञानात्मक कार्य को अनुकूलित कर सकते हैं।
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