'व्यापक पेपर लीक के कोई सबूत नहीं, इसलिए दोबारा नहीं होगी NEET...', सुप्रीम कोर्ट ने क्या देखकर दिया ये आदेश ?

'व्यापक पेपर लीक के कोई सबूत नहीं, इसलिए दोबारा नहीं होगी NEET...', सुप्रीम कोर्ट ने क्या देखकर दिया ये आदेश ?
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वर्ष 2024 के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा स्नातक परीक्षा (नीट यूजी 2024) के लिए दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि उनके समक्ष मौजूद साक्ष्य यह दिखाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि प्रश्नपत्र बड़े पैमाने पर लीक हुआ है, जैसा कि अदालत में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुनः परीक्षा के लिए याचिका खारिज करते हुए कहा कि, "वर्तमान चरण में रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा का परिणाम दूषित है या परीक्षा की पवित्रता का प्रणालीगत उल्लंघन हुआ है। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित स्थापित सिद्धांतों और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के आधार पर पूरी परीक्षा रद्द करने का आदेश देना उचित नहीं होगा। 

उल्लेखनीय है कि, देश भर के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश NEET UG स्कोर के आधार पर होता है। याचिकाकर्ताओं ने प्रश्नपत्र लीक सहित अनियमितताओं का हवाला देते हुए पुनः परीक्षा की मांग की थी। जांच को अपने पास स्थानांतरित किए जाने के बाद, सीबीआई ने 10 जुलाई को अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। सीबीआई ने 17 और 21 जुलाई को आगे की रिपोर्ट दाखिल की है। खुलासे से पता चलता है कि जांच जारी है और CBI ने संकेत दिया है कि सामग्री से पता चलता है कि हजारीबाग और पटना के परीक्षा केंद्रों से चुने गए 155 छात्र धोखाधड़ी के लाभार्थी थे।

चूंकि सीबीआई की जांच अभी तक अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, इसलिए इस शीर्ष न्यायालय ने पिछले आदेश में केंद्र सरकार से यह बताने को कहा था कि क्या 571 शहरों में 4,750 केंद्रों के परिणामों से असामान्यता या अन्य के बारे में कुछ रुझान निकाले जा सकते हैं। भारत संघ ने डेटा एनालिटिक्स के आधार पर स्थिति को इंगित करते हुए आईआईटी मद्रास द्वारा विश्लेषण प्रस्तुत किया है। इस स्तर पर न्यायालय ने एनटीए द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए डेटा की स्वतंत्र रूप से जांच की है। वर्तमान स्तर पर रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि परीक्षा का परिणाम दोषपूर्ण है या परीक्षा की पवित्रता का व्यवस्थित उल्लंघन हुआ है। रिकार्ड में उपलब्ध आंकड़े प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देते, जिससे परीक्षा की शुचिता में व्यवधान उत्पन्न होने का संकेत मिलता हो। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये पाया कि दागी छात्रों को बेदाग छात्रों से अलग किया जा सकता है। 

हालाँकि, कोर्ट को ये भी बताया गया कि, यदि जांच में लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि पाई जाती है, तो काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद किसी भी स्तर पर ऐसे किसी भी छात्र के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कोई भी छात्र जो इस धोखाधड़ी में शामिल पाया जाता है या लाभार्थी है, उसे प्रवेश जारी रखने में किसी भी निहित अधिकार का दावा करने का अधिकार नहीं होगा। तमाम सुनवाई के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्तमान वर्ष के लिए नए सिरे से NEET UG एग्जाम का निर्देश देना गंभीर परिणामों से भरा होगा। ये इस परीक्षा में उपस्थित होने वाले 24 लाख से अधिक छात्रों को भी प्रभावित करेगा। इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर प्रभाव पड़ेगा, भविष्य में योग्य चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ेगा और हाशिए पर पड़े समूह को गंभीर रूप से नुकसान होगा, जिनके लिए सीटों के आवंटन में आरक्षण किया गया था।

बता दें कि NEET UG परीक्षा भारत भर के 571 शहरों के अलावा विदेशों के 14 शहरों में 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी। 1,08,000 सीटों के लिए 24 लाख छात्र परीक्षा में शामिल हुए। परीक्षा में 180 प्रश्न थे, जिनके कुल 720 अंक थे और गलत उत्तरों के लिए एक नकारात्मक अंक था। यह आदेश केंद्र सरकार और एनटीए सहित सभी पक्षों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया, जिन्होंने याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि लीक स्थानीय था, व्यापक नहीं था और इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय के पहले के निर्णयों के अनुसार, पुन: परीक्षण का आदेश नहीं दिया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान भी न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया लीक मामला पटना और हजारीबाग तक सीमित प्रतीत होता है तथा इस समय पुनः परीक्षा का आदेश देना, 23 लाख छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। जबकि केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा इसकी जांच अभी भी जारी है। पीठ ने टिप्पणी की, "क्या न्यायालय दोबारा परीक्षा का आदेश दे सकता है, जब जांच पूरी नहीं हुई है और ऐसी संभावना है कि लीक केवल दो स्थानों तक सीमित है। हम 23 लाख छात्रों से निपट रहे हैं। इसे दोनों तरह से देखा जाना चाहिए। भविष्य में सीबीआई जांच से अलग तस्वीर सामने आ सकती है। लेकिन साथ ही हम आज प्रथम दृष्टया यह नहीं कह सकते कि लीक पटना और हजारीबाग से आगे बढ़ गया है, जिससे पता चले कि यह व्यवस्थित है और पूरे देश में फैल गया है। "

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