होली एक ऐसा त्यौहार जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. देश के चारो कोने में होली का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे है जहां पीछे 150 सालो से होली नहीं खेली गई है. जी हाँ... सुनकर आप भी चौक गए न. जहां एक ओर देशभर में होली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है वही इस गांव में होली के दिन भी शांति ही छाई रहती है. और हर साल की तरह इस साल भी यहाँ के लोगो ने होली ना मनाने का फैसला लिया है.
ये गांव है कैथल के गुहला चीका स्थित गांव दुसेरपुर. यहाँ पिछले 150 साल से होली का पर्व नहीं मनाया गया है. और पीढ़ी दर पीढ़ी ये प्रथा आगे बढ़ती जा रही है. ऐसा कहा जाता है कि यहाँ एक छोटे कद का बाबा रहता है. और होली के दिन कुछ लोगो ने मिलकर उस बाबा का मजाक उड़ा दिया था. गुस्से में वो बाबा उसी वक्त जिन्दा ही दफ़न हो गया था.
दफ़न होते समय बाबा ने श्राप दिया था की जो भी आज के दिन यहाँ होली मनाएगा उसके परिवार का विनाश हो जाएगा. लेकिन कुछ लोगो ने बाबा से माफ़ी मांगकर उनसे इस श्राप से छुटकारा पाने का तरीका पूछा.
बाबा ने तरीका बताया कि यदि इस गांव में एक साथ किसी गाय को बछड़ा और महिला को लड़का पैदा होगा तो ही ये गांव इस श्राप से मुक्ति पाएगा. लेकिन 150 साल तक भी ऐसा संयोग आज तक गांव में नहीं हुआ है जब कोई लड़का और बछड़ा साथ में पैदा हुआ हो. इसलिए यहाँ के लोग होली भी नहीं मनाते है.
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