कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आज 19 दिसंबर को चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई हुई। CJI ने राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों से कई तीखे सवाल पूछे, जिससे मामले की गंभीरता और गहराई से जांच की आवश्यकता पर बल दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने पूछा, "क्या OMR शीट का पूरा डेटा सर्वर में सुरक्षित है, या कुछ डेटा गायब कर दिया गया है?" उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या अनियमितताओं के बावजूद राज्य ने अतिरिक्त पद सृजित किए और अवैध नियुक्तियां जारी रखने की अनुमति दी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B का उल्लेख करते हुए CJI ने कहा कि सबूत के तौर पर पेश किए गए डेटा की प्रामाणिकता पर सवाल उठता है, क्योंकि यह सिर्फ सर्वर से डाउनलोड किया गया है, और इसकी सत्यता हार्ड डिस्क के आधार पर पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाई है।
यह घोटाला 2016 में 25,000 शिक्षकों और स्कूल कर्मियों की भर्ती से जुड़ा है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस घोटाले में नियुक्तियों को फर्जी करार देते हुए रद्द कर दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि इन शिक्षकों को अब तक का वेतन ब्याज सहित लौटाना होगा। हाई कोर्ट ने इस घोटाले को "बड़ा फर्जीवाड़ा" करार दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ममता बनर्जी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2024 में हाई कोर्ट के आदेश पर अस्थायी रोक लगाई थी, लेकिन सीबीआई को जांच जारी रखने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की रिपोर्ट का भी जिक्र किया, जिसमें शुरुआती जांच में गड़बड़ियों का संकेत मिला है। हालांकि, रिपोर्ट की प्रामाणिकता की जांच अभी पूरी नहीं हुई है। CJI ने कहा, "हमें यह देखना होगा कि यह केवल भ्रम है या घोटाले में गहरी साजिश है।" इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब ममता सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के ठिकानों पर छापेमारी में करोड़ों रुपए नकद, सोना-चांदी और अन्य कीमती वस्तुएं बरामद हुईं। इसने ममता बनर्जी सरकार की छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया।
यह घोटाला ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की छवि को धूमिल करने वाला साबित हो रहा है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ममता सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, अब तक TMC या ममता बनर्जी की ओर से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि, "हमें ये देखना होगा कि, दाल में कुछ काला है या सब कुछ काला है," जिससे यह स्पष्ट है कि कोर्ट इस मामले की गहराई से जांच और दोषियों पर कार्रवाई चाहता है। CJI ने कहा कि इस मामले में दागी और बेदाग उम्मीदवारों को अलग करना बेहद मुश्किल है।