नई दिल्ली: सत्ता के लिए राजनीति कितनी नीचे गिर सकती है, इसका उदाहरण कुछ नेताओं की बयानबाजी से मिलता है। ऐसे समय में जब भारत चारों तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है, देश के अंदर से भी लगातार आतंकी पकड़े जा रहे हैं, ऐसे नाज़ुक वक्त में जनता को हौसला देने, एकजुट रहने का सन्देश देने के बजाए कुछ नेता देश में बांग्लादेश जैसी अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के सीनियर नेता सलमान खुर्शीद, मणिशंकर अय्यर, और सज्जन वर्मा जैसे नेता कह रहे हैं कि बांग्लादेश जैसी घटनाएं भारत में भी हो सकती हैं और जनता प्रधानमंत्री आवास में घुस सकती है। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ता नदीम अली ने सोशल मीडिया पर खुलेआम देश में गृहयुद्ध की वकालत की है।
नदीम अली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लोगों को गृहयुद्ध के लिए भड़काते हुए कहा कि देश में गृहयुद्ध की जरूरत है और नागपुरी संतरों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई होनी चाहिए। उसने यह भी दावा किया कि इस लड़ाई में प्रधानमंत्री देश छोड़कर भाग जाएगा और संघियों के खिलाफ पूरे देश में नाराजगी है। इससे पहले, 2020 के दिल्ली दंगों का मुख्य आरोपी और केजरीवाल का करीबी आम आदमी पार्टी (AAP) पार्षद ताहिर हुसैन भी था, और अब एक और पार्टी कार्यकर्ता ने गृहयुद्ध की धमकी दी है।
ये अरविंद केजरीवाल का दोस्त नदीम है. यह भारत में गृहयुद्ध चाहता है.
— Abhay Pratap Singh (बहुत सरल हूं) (@IAbhay_Pratap) August 8, 2024
नदीम की इच्छा है कि भारत में गृहयुद्ध हो ताकि यह और इसकी गैंग संघियों, भाजपाइयों और हिंदुओं का कत्लेआम कर सके.@DelhiPolice ऐसा जहरीला व्यक्ति खुला कैसे घूम रहा है. 15 अगस्त से पहले गृहयुद्ध की धमकी ?… pic.twitter.com/CnVOQ8zYp3
नदीम अली की इस देश विरोधी सोच को लेकर लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार और पुलिस से इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही, केजरीवाल और संजय सिंह के साथ नदीम अली की तस्वीरें शेयर कर लोग आम आदमी पार्टी पर भी निशाना साध रहे हैं।
बांग्लादेश में क्या हो रहा ?
बता दें कि, बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से ही हिन्दुओं का नरसंहार शुरू हो चुका है। कट्टरपंथी मुस्लिम, अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की हत्या कर रहे हैं, उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहे हैं और उनके मंदिरों और संपत्तियों को नष्ट करने के साथ-साथ उन्हें लूट रहे हैं। वहीं, भारत में रहने वाले मुसलमान, वामपंथी और विपक्षी, हिन्दू नरसंहार की बात मानने से ही इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि, बांग्लादेश की जनता ने शेख हसीना की तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठाई और वहां लोकतंत्र की जीत हुई है। वहीं आतंकी भी इस चीज़ से खुश हैं, क्योंकि ये भारत के लिए बुरा है। शेख हसीना भारत के साथ मित्रवत व्यव्हार करती थीं, लेकिन अब बांग्लादेश में तेजी से आतंकवाद पनपने का खतरा बढ़ गया है, जो भारत के लिए चिंता की बात है। अब बांग्लादेश की अगली सरकार पर जमात ए इस्लामी का नियंत्रण है, जो एक कट्टरपंथी संगठन है। शेख हसीना के हटते ही बांग्लादेश में हिन्दुओं का नरसंहार शुरू हो चुका है। ऐसे में ये तो स्पष्ट है कि, बांग्लादेश में जो भी हुआ, वो भारत के लिए बुरा ही है, उसकी ख़ुशी कोई भी देशभक्त नहीं मना सकता।
जहाँ तक बात तानाशाही की है, तो जनवरी 2024 में इसी जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ शेख हसीना को सत्ता सौंपी थी, आंदोलन तो उस समय भी हो सकता था। अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ कितने लोग सड़कों पर उतरे ? चीन में तोपों से मस्जिदें गिरा रहे शी जिनपिंग के खिलाफ किसने अनोलन किया ? उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का विरोध उसके देश में कौन करता है ? तानाशाह का विरोध करना इतना आसान नहीं होता, जितना नैरेटिव शेख हसीना को लेकर फैलाया जा रहा है। अगर शेख हसीना को तानाशाह मान भी लें, तो उनके हटने के बाद भी हिंसा शांत क्यों नहीं हुई ? मुजीब उर रहमान की मूर्तियां क्यों तोड़ी जा रहीं हैं ? उन्होंने तो बंगालियों को अलग देश बनाकर दिया था, और देश बनने के 4 साल बाद ही 1975 में 16 परिजनों समेत उनकी हत्या कर दी गई। असल में बांग्लादेशी अब खुद अपनी ही विरासत मिटा रहे हैं और पाकिस्तान के कट्टरपंथ वाले रास्ते पर चल पड़े हैं, जो लोग इसे मात्र छात्रों का सरकार विरोधी प्रदर्शन समझ रहे हैं, वे भारी भूल कर रहे हैं।
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