हरियाणी में राजनीतिक हलचल के बीच ठेठ हरियाणवी अंदाज में लठमार भाषा बोलने वाले जजपा के नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम की नाराजगी दूर होती दिखाई दे रही है. जजपा संरक्षक दुष्यंत चौटाला और उनकी कोर टीम ने मंथन के बाद दादा गौतम को मना लेने का दावा किया है। दुष्यंत की कोर टीम न केवल गौतम के संपर्क में है, बल्कि उनके बेटे रजत के साथ भी बातचीत चल रही है. जल्द ही अब कुछ नियुक्तियां हो सकती हैं.वैसे, गौतम का कैबिनेट गठन के समय जजपा कोटे से मंत्री बनना तय था, लेकिन अंतिम क्षणाें में अनूप धानक को निष्ठा का पुरस्कार मिला.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के शीर्ष नेता कैप्टन अभिमन्यु के इलाके से चुनाव जीतने वाले रामकुमार गौतम ने अपने गुस्से का इजहार करने में थोड़ा जल्दबाजी कर दी. भाजपा-जजपा गठबंधन को अभी सिर्फ दो माह हुए हैं. इतने कम समय में मंत्रिमंडल विस्तार किसी सूरत में संभव नहीं होता. रामकुमार गौतम हमेशा से ही जजपा खासकर दुष्यंत चौटाला की प्राथमिकता में रहे हैं. इसकी वजह गौतम का राजनीतिक वजूद नहीं, बल्कि उनका गैर जाट और ब्राह्मण होना है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मंत्रिमंडल गठन के दौरान ही दुष्यंत चौटाला चाहते थे कि रामकुमार गौतम को मंत्री बनाया जाए, लेकिन सरकार में डिप्टी सीएम का एक पद मिलने और मात्र दो मंत्री बनाने की पेशकश ने दुष्यंत को अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर दिया. दुष्यंत के सामने इनेलो छोड़कर पहले दिन से जजपा के साथ चल रहे अनूप धानक और रामकुमार गौतम में से किसी एक को पहले चुनने का विकल्प था. धानक की गिनती चूंकि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं में होती है, इसलिए उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया, जबकि गौतम को कैबिनेट मंत्री के समकक्ष पावर देने की योजना थी.
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