मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया के महान लेग स्पिनर शेन वॉर्न की मौत एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। दरअसल, वॉर्न की मौत 3 महीने पहले दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी। अब इसी पर कुछ डॉक्टरों ने आशंका जाहिर की है कि हो सकता है वॉर्न की मौत फाइजर कोरोना वैक्सीन लेने के चलते हुई हो। उनका दावा है कि फाइजर वैक्सीन से हृदय संबंधी रोग बढ़ते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2023 में शेन वॉर्न की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई थी। इससे ठीक 9 महीने पहले उन्होंने कोरोना वैक्सीन ली थी।
Australian Cricket Legend 52 yo Shane Warne died suddenly from Pfizer COVID-19 mRNA vaccine heart injuries on March 4, 2022
— William Makis MD (@MakisMD) June 21, 2023
I called it then - now 1.5 years later, other doctors like @DrAseemMalhotra are calling it too!
I was silenced on Twitter the very next day, suspended for… https://t.co/YKGFCKaWKE pic.twitter.com/31iBfpZ6dD
रिपोर्ट्स के अनुसार, वॉर्न ने फाइजर कोविड mRNA वैक्सीन लगवाई थी, जिसके चलते हार्ट अटैक आने की आशंका है। इसी तथ्य के मद्देनज़र ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर क्रिस नील और भारतीय मूल के ब्रिटिश हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ असीम मल्होत्रा ने कहा कि शेन वॉर्न की मौत शायद कोरोना वैक्सीन लेने के चलते ही हुई हो। डॉक्टर मल्होत्रा ने आगे कहा कि, 'ये मानना मुश्किल होता है कि एक खिलाड़ी को दिल का दौरा पड़ा। मगर, ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाज़ शेन वॉर्न को 52 वर्ष की आयु में अचानक हार्ट अटैक आया था, जिससे उनकी मौत हो गई। डॉ मल्होत्रा ने कहा कि, यह तो सभी जानते हैं कि वॉर्न की लाइफस्टाइल उतनी हेल्थी नहीं थी। वह स्मोकिंग करते थे और उनका वजन भी अधिक था। मेरे पिता की मौत भी फाइजर वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद हुई थी और उनके भीतर दिल की बीमारी वैक्सीन लगने के बाद तेजी से बढ़ी।' वहीं डॉ नील ने कहा जब तक कि इस मामले में जाँच नहीं हो जाती, तब तक के लिए कोरोना वैक्सीन लेने पर रोक लगानी चाहिए।
It wasn’t just the vaccine - it was the censorship that killed Shane Warne
— Craig Kelly (@CKellyUAP) June 21, 2023
????If there had of been free & open debate,
????If only all the facts and data were on the table from the start - instead of as Pfizer trying to hide it 75 years
????If only the "safe & effective"… pic.twitter.com/gRXsGPhTcZ
गौर करने वाली बात यह है कि एक तरफ जहाँ आज की स्थिति है, जब विदेशी कोरोना वैक्सीन को लेकर ऐसे हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं। वहीं, कोरोना महामारी के संकट काल में जब भारत ने बाजार में अपनी कोरोना वैक्सीन उतारी थी, तब विपक्षियों और एक वर्ग ने इसका जमकर विरोध किया था। कई लोगों ने तो भारत में निर्मित कोरोना वैक्सीन को मोदी की वैक्सीन बताते हुए ये तक कहा था कि वो भाजपा की वैक्सीन नहीं लगवाएँगे। यही नहीं, जब महामारी चरम पर थी, तब इन्ही लोगों ने विदेशी वैक्सीनों की वकालत करते हुए ये बताने का प्रयास किया था कि भारत की वैक्सीन सुरक्षित नहीं हैं और अगर किसी को टीका लगवाना है, तो वो विदेश में निर्मित वैक्सीन को चुने। यहाँ तक कि, सरकार पर यह दबाव डालने की भी कोशिशें की गई थी कि, भारत सरकार विदेशी वैक्सीन आयत करें और देश के लोगों को लगवाएं, क्योंकि भारत निर्मित वैक्सीन सुरक्षित नहीं है।
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