टीम इंडिया और न्यूजीलैंड के बीच होगा घमासान, आखिर किसके सर सजेगा जीत का ताज

टीम इंडिया और न्यूजीलैंड के बीच होगा घमासान, आखिर किसके सर सजेगा जीत का ताज
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भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप 2023 की लीग स्टेज में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए सभी 9 मैच में जीत हासिल कर ली है. अपने आखिरी लीग मैच में टीम इंडिया ने बेंगलुरु में नीदरलैंड को 160 रनों से मात दे दी है. टूर्नामेंट के हर मैच में टीम इंडिया ने आसानी से जीत हासिल  की और सेमीफाइनल में स्थान बना चुकी है. अब इंतजार सेमीफाइनल का है, जहां टीम इंडिया का सामना न्यूजीलैंड के साथ होने वाला है. वही न्यूजीलैंड, जिसने पिछले वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को सेमीफाइनल में ही बाहर कर दिया था. इस बार भी कीवी टीम इंडिया के लिए एक बड़ा खतरा है और इसकी एक वजह मुंबई का वानखेडे स्टेडियम भी है.

बुधवार 15 नवंबर को वानखेडे स्टेडियम में टूर्नामेंट का पहला सेमीफाइनल खेला जाने आला है. इसी मैदान पर टीम इंडिया ने 12 साल पहले  विश्वकप का खिताब जीत लिया था. इस बार ये मैदान खिताब की दिशा में एक अहम कदम होने वाला है. मौजूदा टूर्नामेंट में भारत ने वानखेडे में एक मैच खेला भी था, इसमें 2011 की ही रनर-अप श्रीलंका को सिर्फ 55 रन पर ढेर कर 302 रन से जीत  हासिल कर ली थी. उस प्रदर्शन और मौजूदा फॉर्म को देखते हुए टीम इंडिया मजबूत दावेदार है लेकिन ये बिल्कुल भी आसान नहीं है.

टॉस जीतो, पहले बैटिंग करो: असल में वानखेडे स्टेडियम में मैच का नतीजा इस बात पर भी निर्भर करने वाला है कि टॉस कौन जीतता है और पहले क्या करता है. विश्वकप 2023 के मुकाबले गवाह हैं कि इस मैदान पर जिस टीम ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का निर्णय कर लिया है, वो फायदे में रही है. जिसने पहले फील्डिंग चुनी उसे सिर्फ हार का सामना करना पड़ा. वानखेडे में सेमीफाइनल से पहले सिर्फ 4 मैच खेले गए. इन चारों मैच में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमों ने बड़े-बड़े स्कोर बनाए. सिर्फ अफगानिस्तान-ऑस्ट्रेलिया का मैच अपवाद था, जहां अफगानिस्तान ने टॉस जीतकर बैटिंग चुनी लेकिन हार गई और उसके कारण से  भी सब जानते हैं- ग्लेन मैक्सवेल का हैरतअंगेज दोहरा शतक.

पहले बैटिंग इसलिए जरूरी: बता दें कि वानखेडे में पहले बैटिंग करना क्यों जरूरी है. असल में वानखेडे में हमेशा नई गेंद से तेज गेंदबाजों को सहायता मिलती है. शुरुआती ओवरों में ये बहुत ही अधिक होती है लेकिन दिन के वक्त पहले बैटिंग करने में फिर भी 5-6 ओवरों  के उपरांत स्थिति आसान हो जाती है. दूसरी पारी में ये सहायता अधिक देर तक रहती है और पेसर्स स्विंग और सीम के सहारे बल्लेबाजों के लिए आफत बने रहते हैं क्योंकि शाम के समय हल्की हवा भी चलती है.

इस टूर्नामेंट के आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं. इस मैदान पर दूसरी पारी में बैटिंग करना हमेशा कठिन ही था. खास तौर पर पहले पावरप्ले (1-10 ओवर) में बल्लेबाजी किसी आफत से बिलकुल कम नहीं लगी है. यहां खेले गए 4 मैचों में पहले पावरप्ले में कुल 17 विकेट गिरे, जिसमें से ज्यादातर पेसर्स को ही मिले. वहीं अगर इस दायरे को 12 ओवरों तक बढ़ाएं तो आंकड़ा 20 विकेट का हो जाता है. जाहिर तौर टीम इंडिया के बल्लेबाज अच्छी फॉर्म में हैं लेकिन दूसरी पारी में ट्रेंट बोल्ट और टिम साउदी जैसे स्विंग वाले गेंदबाजों से निपटना बहुत मुश्किल साबित होने वाला है.

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