![उत्तराखंड में कल से सबके लिए एक ही कानून होगा..! सीएम धामी ने किया UCC का ऐलान](https://media.newstracklive.com/uploads/national-news/Jan/26/big_thumb/ghoi76_67961817d1efc.jpg)
देहरादून: ढाई साल की कड़ी तैयारियों के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण करेंगे। सरकार ने इस ऐतिहासिक कदम की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। गृह सचिव की ओर से शनिवार को जारी पत्र में कार्यक्रम के लिए संबंधित विभागों और पुलिस अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं।
यूसीसी लागू करने के लिए 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 2 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी थी। इसके बाद 8 मार्च 2024 को विधेयक विधानसभा में पारित किया गया। राष्ट्रपति ने 12 मार्च 2024 को इस अधिनियम पर अपनी स्वीकृति दी। इसके बाद तकनीकी आधार पर नागरिकों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किए गए। पिछले सोमवार, 20 जनवरी, को कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली को अंतिम रूप देकर इसे पास किया। यूसीसी के क्रियान्वयन को सुचारु बनाने के लिए बीते दिनों विभिन्न स्तरों पर मॉक ड्रिल आयोजित की गई। शासन के अनुसार, शुक्रवार को हुए अंतिम मॉक ड्रिल में सभी समस्याओं को सुलझा लिया गया है। अब यह पोर्टल आम नागरिकों और अधिकारियों के लिए पूरी तरह तैयार है। मुख्यमंत्री सोमवार को दोपहर 12:30 बजे पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण करेंगे। इसके साथ ही विवाह, तलाक, लिव इन संबंध, लिव इन से अलग होना, विरासत आदि के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
यूसीसी लागू होने के बाद विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत जैसे मामलों में सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक समान कानून लागू होगा। 26 मार्च 2010 के बाद शादी और तलाक का पंजीकरण हर दंपती के लिए अनिवार्य होगा। यह पंजीकरण ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम और महानगर पालिका स्तर पर किया जा सकेगा। पंजीकरण नहीं कराने पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना और सरकारी सुविधाओं से वंचित होने का प्रावधान रखा गया है। विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष तय की गई है। महिलाएं भी पुरुषों की तरह समान कारणों के आधार पर तलाक ले सकेंगी। हलाला और इद्दत जैसी प्रथाएं खत्म कर दी जाएंगी, और महिलाओं के दोबारा विवाह पर कोई शर्त लागू नहीं होगी।
कानून के तहत, बिना सहमति के धर्म परिवर्तन की स्थिति में दूसरे व्यक्ति को तलाक और गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा। पति-पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी मां को दी जाएगी।
संपत्ति में बेटा और बेटी को समान अधिकार दिए जाएंगे। जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया जाएगा। गोद लिए गए, सरोगेसी और अन्य प्रजनन तकनीकों से जन्मे बच्चों को जैविक संतान का दर्जा मिलेगा। महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी संपत्ति में अधिकार दिया जाएगा।
लिव इन संबंधों के लिए भी पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। बिना पंजीकरण के घर किराए पर लेने या हॉस्टल में रहने की अनुमति नहीं होगी। लिव इन से जुड़े विवाद या संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण जरूरी होगा। पंजीकरण न कराने पर छह महीने की कैद या 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह कानून सामाजिक समानता और न्याय के दृष्टिकोण से एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस कदम के साथ ही राज्य में नया अध्याय शुरू होगा।