इंदौर/ब्यूरो। शरद पूर्णिमा पर खीर खाने की पुरानी परम्परा है जिसके चलते कई लोग इस तिथि को उत्सव की तरह मनाते है। आपको बता दे की शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व के साथ आयुर्वेदिक महत्व भी है और यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।
विशेषज्ञों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर खाने से रोग प्रतिरोधकता और आरोग्य में वृद्धि होती है। अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा वर्षा ऋतु और शीत ऋतु के संधिकाल में पड़ती है, इसलिए इस दिन का धार्मिक के साथ चिकित्सकीय महत्व भी है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चंद्रमा को मन का देवता माना गया है। शरद पूर्णिमा की रात को चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है। इस दिन चांदनी रात में दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी को अमृत से समान बताया गया है। मान्यता है इस रात चंद्र दर्शन नेत्र विकार दूर करता है और इस रात चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर को खाने से रोग प्रतिरोधकता एवं आरोग्य में वृद्धि होती है।
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