दुनिया में प्रत्येक मानव दीर्घायु का सुख भोगना चाहता है, मगर यह सुख हर किसी की किस्मत में नहीं लिखा है। एक प्रसिद्ध महाराज ने बताया कि आखिर किन आचरणों से आयु का नाश होता है। ऐसे कौन से कर्म होते हैं जो हमारी उम्र को नष्ट कर देते हैं। ये कर्म सिर्फ अकाल मृत्यु, भयंकर अशांति तथा दुख लेकर आते हैं।
इन चीजों का रखें ध्यान:-
* जो लोग भगवान में भरोसा नहीं रखते, शास्त्रों की अवहेलना करते हैं, नास्तिक बने रहते हैं, गुरु का अपमान करते हैं तथा दुराचारी बने रहते हैं, उनकी आयु बहुत कम हो जाती है।
* कुछ लोगों की सुबह की शुरुआत दांत से नाखून चबाने के साथ होती है। कुछ ऐसे भी हैं जो झूठे एवं अपवित्र आहार के साथ अपने दिन की शुरुआत करते हैं। बिना कारण कागज या कपड़ा फाड़ना, बैठे-बैठे पैर हिलाना आदि जैसी चंचल चेष्टाएं भी आयु नष्ट होने की वजह होती है।
* जो लोग संध्याकाल में भोजन करते हैं या सोते रहते हैं, उनकी उम्र भी क्षीण हो जाती है। शास्त्र बोलते हैं कि जो व्यक्ति संध्याकाल में शयन करता है, भोजन करता है, व्यर्थ का भाषण एवं व्यर्थ की चेष्टाएं करता है, उसकी आयु नष्ट हो जाती है। जो इंसान संध्याकाल में देव आराधन, हरि आराधन, भगवत चिंतन एवं मंगल विधान करता है, निश्चित ही उसकी उम्र बढ़ती है। लोक परलोक में सुख प्राप्त करता है।
* जो लोग ग्रहण या मध्यान्ह के वक़्त सूर्य की तरफ देखता है, उसकी उम्र भी कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त, अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी, अष्टमी या एकादशी जैसी पवित्र तिथियों पर गृहस्थ को भी ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
* दूसरे के मन को भेदने वाले वचन कभी मुंह से न निकालें। महाराज जी बोलते हैं, 'बाण या किसी अस्त्र से शरीर घायल हो जाए तो औषधि लगाकर उसे भरा जा सकता है, मगर दुर्वचनरूपी बाण से जब किसी के हृदय को भेद दिया जाता है, तो उसे बहुत कष्ट होता है। शास्त्रों में ऐसी क्रिया को महापाप समझा जाता है तथा इसी कारण ऐसे लोगों की आयु क्षीण हो जाती है।'
* अगर कोई व्यक्ति दृष्टिहीन, निर्बल, कुरूप या निर्धन है। ऐसे लोगों के साथ हमेशा प्रेम से बात करें। उनका उपहास या जमाक कभी न बनाएं। ऐसा पाप करने वाले व्यक्तियों की भी दीर्घायु नहीं जाती है। ऐसे क्रियाएं आपके सुकर्मों को नष्ट कर देती हैं।
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