नई दिल्ली: पीएम मोदी आज शाम 6 बजे अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। अपना हर बड़ा काम शुभ मुहूर्त पर शुरू करने वाली मोदी सरकार ने नए मंत्रियों को शपथ ग्रहण करवाने का भी मुहूर्त तय किया है। जब मंत्री शपथ ग्रहण करेंगे, इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसमें किया गया कोई भी कार्य सफल होता है। जब देश महामारी, लचर इकॉनमी और महंगाई से बुरी तरह जूझ रहा है, ऐसे में हर लिहाज से मोदी सरकार के लिए ये विस्तार अभी अत्यंत आवश्यक है। बता दें कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से आरम्भ हो रहा है और नए मंत्रियों को अपने मंत्रालयों में घुलने-मिलने के लिए समय चाहिए रहेगा। ऐसे में हम आपको कैबिनेट विस्तार के 5 बड़े कारण बताने जा रहे हैं।
गवर्नेंस की गुणवत्ता सुधारना:-
कोरोना की दूसरी लहर में मोदी सरकार के मिस मैनेजमेंट की काफी आलोचना हुई। गवर्नेंस में क्वालिटी की कमी दिखाई दी। स्मार्ट सिटी हो या फिर कैशलेस इकोनॉमी, पीएम मोदी के कुछ महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ट्रैक पर नहीं है। ऐसे में पीएम मोदी को शीर्ष स्तर पर ज्यादा काबिलियत वाली टीम की जरूरत है।
जनता की निराशा दूर करना:-
देश की अर्थव्यवस्था में ऐसी गिरावट कभी नहीं देखी गई, जैसी अभी है। इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल के दामों पर जनता के आक्रोश को शांत करना जरूरी है। रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं और खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, इससे भी लोग निराश हैं। ऐसे में दिशाहीन हो चुकी इकॉनमी को संभालने के लिए सरकार के भीतर उच्च स्तर पर ज्यादा क्षमता की दरकार होगी।
जातीय और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के साथ काबिलियत में संतुलन:-
मोदी को अपनी टीम में जातीय और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के साथ काबिल मंत्रियों का तालमेल बैठाना है। मंत्रिमंडल में फील गुड फैक्टर को बढ़ाने के लिए भी नए चेहरों को शामिल करना आवश्यक हो गया है।
राज्यों में पार्टी और नेताओं का मनोबल बढ़ाना:-
2014 के बाद मोदी सरकार ने कई जीत और हार का सामना किया। हाल में बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद भाजपा और समर्थकों के उत्साह पर बुरा असर पड़ा है। यदि सांसदों में से काबिल लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है, तो जिस राज्य से मंत्री शामिल किए गए हैं, वहां पार्टी और उसके नेताओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
भाजपा की ताकत बढ़ाना:-
पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में अभी सियासी उथलपुथल जारी है। क्षेत्रीय और जातीय समीकरण के आधार पर नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कर सत्ता का मौका देने से पीएम मोदी और भाजपा की सियासी ताकत में भी इजाफा होगा। वहीं, पशुपति पारस और JDU के 4 मंत्री बनाने से उन्हें क्षेत्र से लेकर केंद्र तक समीकरण साधने में सहायता मिलेगी।
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