समाज में कलंक लगाने के लिए सौ लोग खड़े हो जाते है लेकिन उस कलंक को मिटाने की बात की जाए तो कोई आगे नहीं आता है ऐसे में सामाजिक कलंक के विरोध में कई फिल्मे बनाई गई है जिन्हे बनाने के बाद समाज में बदलाव लाने की सोच रखी गई है, जो कई हद तक संभव भी हुआ है आइए बात करते है उन्ही फिल्मो के बारे में।
मातृभूमि- यह फिल्म भी एक समाजिक मुद्दे पर बनाई गई थी जो था कन्या भ्रूण हत्या। इसे लेकर इस फिल्म में कई ऐसे दृश्य दिखाए गए थे जो दिल को दहला देने वाले रहें थे। इस फिल्म में ये बात की गई थी कि अगर भविष्य में लडकियां नहीं होंगी तो क्या होगा ??
पैडमैन- सेनेटरी पेड के प्रति जागरूकता और उसके उपयोग के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करना, शहरी और ग्रामीण महिलाओं को इसके उपयोग के प्रति प्रोत्साषित करने जैसे मुद्दों को इस मूवी में ख़ासतौर दर्शाया गया है.
परछेद - यह फिल्म ग्रामीण महिलाओं की कहानी पर आधारित थी जो समाज या राज्य की पैतृक व्यवस्था, दहेज़, बाल विवाह, मार पिट जैसी समस्याओं से जूझती है।
Lipstick Under My बुरखा- इस फिल्म ने इंटरनेट पर काफी हंगामे किए थे इस फिल्म में भी एक सामाजिक मुड़ी पर बात की गई थी जो था लड़कियों की यौन जरूरते। जिस तरह से पुरुष की यौन जरूरते होती है ठीक वैसे ही एक महिला की भी होती है। इस फिल्म ने सभी के दिलो को झकझोरा था।
दंगल- ये फिल्म भी एक सामाजिक मुद्दे पर बनी थी। एक ऐसा समाज जहाँ पर लड़कियों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता और ना ही उनसे कोई उम्मीद की जाती है। लेकिन इस फिल्म में एक पिता ने अपनी बेटियों से उम्मीद की जिस पर वो खरी उतरी और इस फिल्म ने सभी के दिलो पर राज किया और बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रहीं।
मुन्नी के साथ कल चीन में होंगे ‘बजरंगी भाईजान’
अब भी जारी है 'सोनू के टीटू की स्वीटी' की ताबड़तोड़ कमाई
इस अनोखे अंदाज़ में विकास गुप्ता ने दी श्रीदेवी को श्रद्धांजलि