थायरॉइड की समस्या को कंट्रोल करने के लिए दमदार साबित हो सकते हैं ये उपाय

थायरॉइड की समस्या को कंट्रोल करने के लिए दमदार साबित हो सकते हैं ये उपाय
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कुत्ते को अक्सर इंसानों का सबसे वफादार दोस्त माना जाता है। यह सच्चाई सदियों पुरानी है कि कुत्ते इंसानों के साथ गहरा और सच्चा रिश्ता बनाते हैं। हाल की अमेरिकी स्टडी से पता चलता है कि डॉग्स महिलाओं को डिप्रेशन और चिंता से मुक्त कर सकते हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं का डॉग्स के साथ मजबूत रिश्ता उन्हें मानसिक तनाव और चिंता से बाहर निकालने में मदद करता है।

थायरॉइड से संबंधित जानकारी
थायरॉइड ग्लैंड का सही कामकाज शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है, जिससे शरीर की ऊर्जा और गर्मी का संतुलन बनाए रखा जाता है। थायरॉइड ग्लैंड में समस्याएं होने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

थायरॉइड के लक्षण
अचानक वजन बढ़ना या घटना
अनियमित पीरियड्स
उच्च रक्तचाप
सुस्ती और थकान
सूखी त्वचा
कब्ज
बालों का झड़ना
नींद की कमी
घबराहट और चिड़चिड़ापन
उभरी हुई आंखें
बांझपन
हाथों में कंपन
मांसपेशियों में दर्द
थायरॉइड के आंकड़े
हर 10 में से 1 वयस्क हाइपो-थायरॉइडिज्म का शिकार है।
3 में से 1 मधुमेह रोगी को थायरॉइड की समस्या है।
थायरॉइड के लिए योग और प्राणायाम

योगासन:
सूर्य नमस्कार
पवनमुक्तासन
सर्वांगासन
हलासन
उष्ट्रासन
मत्स्यासन
भुजंगासन

प्राणायाम:
उज्जायी: 5-10 मिनट रोजाना
अनुलोम-विलोम: 15 मिनट रोजाना
भ्रामरी-उद्गीत: 11-11 बार
आयुर्वेदिक उपचार
मुलैठी चूसना
तुलसी-एलोवेरा जूस का सेवन
त्रिफला: 1 चम्मच रोजाना
अश्वगंधा और गर्म दूध
हरा धनिया का पेस्ट
थायरॉइड में परहेज
चीनी
सफेद चावल
तेलीय भोजन
सॉफ्ट ड्रिंक्स

थायरॉइड के स्वास्थ्य पर प्रभाव
मेटाबॉलिज्म का धीमा होना: थायरॉइड हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। इसके प्रभावित होने पर वजन बढ़ना या घटना, ऊर्जा की कमी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रॉल: थायरॉइड में गड़बड़ी से शरीर में चर्बी बढ़ती है और कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ सकता है।
हार्ट डिजीज और डायबिटीज: थायरॉइड की समस्याएं दिल और मधुमेह से संबंधित जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
डिप्रेशन और कैंसर: थायरॉइड समस्याएं मानसिक स्वास्थ्य और कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकती हैं।

थायरॉइड और मौसम
ठंड के मौसम में थायरॉइड ग्लैंड पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। यह ग्लैंड के फॉलिकल्स को क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित नहीं रह पाता।

महिलाओं में थायरॉइड का खतरा
महिलाओं में थायरॉइड का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज और बढ़ती उम्र में इसका रिस्क बढ़ जाता है। हालांकि, पुरुषों में भी थायरॉइड के मामले बढ़ रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार, 60% महिलाएं थायरॉइड के लक्षणों से अनजान रहती हैं, जिससे यह बीमारी गंभीर हो जाती है। भारत में 10 में से 1 वयस्क हाइपोथायरॉइडिज्म का शिकार है और 44.3% गर्भवती महिलाओं को पहले तीन महीनों में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या होती है।

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