सावन का महीना भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है, खासकर शिवलिंग पर रुद्राक्ष चढ़ाने के संदर्भ में। रुद्राक्ष का अर्थ है 'रुद्र का अक्ष', और इसे शिव के आंसुओं से उत्पन्न माना जाता है। प्राचीन काल से, रुद्राक्ष का उपयोग आभूषण के रूप में, सुरक्षा, ग्रह शांति, और आध्यात्मिक लाभ के लिए किया जाता रहा है।
रुद्राक्ष की विविधता और महत्व
रुद्राक्ष मुख्य रूप से 17 प्रकार के होते हैं, लेकिन इनमें 12 मुखी रुद्राक्ष का महत्व विशेष है। इसे कलाई, कंठ और ह्रदय पर धारण किया जा सकता है। रुद्राक्ष को कंठ तक धारण करना सर्वोत्तम होता है। इसके अलावा, 12 दानों को कलाई में, 36 दानों को कंठ में, और 108 दानों को ह्रदय पर धारण करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, एक दाना भी धारण किया जा सकता है, बशर्ते वह ह्रदय तक हो और लाल धागे में बंधा हो।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
रुद्राक्ष को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी या किसी सोमवार को धारण करना अच्छा होता है। विशेष रूप से, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी यानी शिवरात्रि को रुद्राक्ष धारण करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
धारण करने से पहले की बातें
रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसे शिवजी को अर्पित करना न भूलें। शिवजी को अर्पित करने के बाद, इसे माला में पिरोते समय मंत्रों का जाप करें, और फिर पहनें।
नियम और सावधानियाँ
रुद्राक्ष धारण करने वालों को सात्विक रहना चाहिए और मांस या मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। आचरण को शुद्ध रखना आवश्यक है, क्योंकि इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।
सावन के इस पवित्र महीने में रुद्राक्ष के महत्व को समझना और इसका सही तरीके से प्रयोग करना हमें आध्यात्मिक शांति और सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
अगला 1 महीना इन राशि के जातकों के लिए लाभकारी
इन 5 राशियों के लिए लकी है अगस्त का नया सप्ताह, बन रहे है ये शुभ योग
श्रावण अमावस्या पर स्नान-दान के लिए मिलेगा सिर्फ इतना समय, जानिए शुभ मुहूर्त