आजादी और राष्ट्रीय पर्व से जुड़ीं ये कविताएं आपकी रगो में भर देगी जोश

आजादी और राष्ट्रीय पर्व से जुड़ीं ये कविताएं आपकी रगो में भर देगी जोश
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देश भर में 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस (Independence day) के  जश्न की तैयारियां आरम्भ हो गई हैं। स्वतंत्रता दिवस, दुनिया भर के कई देशों में एक प्रतिष्ठित वार्षिक अवसर है, जो स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय और राष्ट्रीय पहचान की विजय का प्रतीक है। आजादी और राष्ट्रीय पर्व से जुड़ीं कई कविताएं भी हमारी रगों में जोश भरने का काम करती है. तो आइए ऐसी ही कुछ कविताएं आपके सामने पेश है...

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे 
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से 
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे 
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे 
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका 
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे 
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं 
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे 
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम 
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे
- अशफाकउल्ला खां

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