इलाज में जुटे डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को भी कोरोना संक्रमण का भय सताने लगा है। वजह यह है कि अस्पतालों के सैनिटाइजेशन, साफ-सफाई और देख-रेख के बावजूद दिन पर दिन चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधनों से लेकर सरकार तक सैनिटाइजर, भोजन और दवाएं तो उपलब्ध करा रहे हैं, परन्तु उन्हें मरीजों तक मेडिकल स्टाफ को ही पहुंचाना पड़ता है। बढ़ते खतरे के बीच डॉक्टर्स पर मरीजों को ठीक करने की जिम्मेदारी है, इसलिए अब कई अस्पतालों में रोबोट की मदद ली गई है। दुनियाभर में ये रोबोट कई तरह के काम कर रहे हैं।
डिलीवरी रोबोट
अस्पताल में मरीजों को सही समय पर दवाएं मिलें, इसके लिए दवा देने वाला रोबोट बनाया गया है। यह रोबोट मेडिकल स्टाफ द्वारा दी गई दवा को निर्धारित जगह पर पहुंचाता है। डिलीवरी रोबोट एक साथ तीन लोगों का काम कर सकता है। अत्याधुनिक तकनीक से युक्त यह रोबोट आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों को उनके बिस्तर तक दवा से लेकर भोजन और जरूरत की वस्तुएं पहुंचा रहा है।
कोरोना वायरस रोबोट
डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ का काम हल्का करने के लिए जांच करने वाला रोबोट बनाया गया है। यह डॉक्टर द्वारा किए जाने वाले काम, जैसे- अल्ट्रासाउंड, सलाइवा टेस्ट, तापमान की जांच और मरीज के अंगों द्वारा निकलने वाली आवाज को सुनता है। इसमें लगे कैमरे की मदद से मेडिकल स्टाफ बिना उस रूम में मौजूद रहे मरीज की देख-रेख कर सकता है। साथ ही मरीज की जांच करने के बाद यह खुद को सैनिटाइज भी करता है।
यूवीडी रोबोट
यह रोबोट यूवी लाइट की मदद से अस्पताल के रूम को सैनिटाइज करता है। यह कीटाणुओं और रोगाणुओं को नष्ट करने में मददगार यूवी-सी लाइट का प्रयोग करता है। एक बार चार्ज होने पर यह आठ घंटे तक काम कर सकता है।
कीनोन रोबोट
फर्श साफ करने से लेकर भोजन, दवाएं और कागजात पहुंचाता है। स्प्रे नोजल से आसानी से बैक्टीरिया और वायरस खत्म कर देता है।
ग्लाइडर कार्गो प्लेन
ग्लाइडर एक तरह का कार्गो प्लेन है। यह एक बार इस्तेमाल होने वाला डिस्पोजेबल ग्लाइडर बेस्ड लॉजिस्टिक रिसप्लाई सिस्टम है। इसे हेलीकॉप्टर या हवाई जहाज की मदद से प्रभावित जगह से कुछ दूरी पर छोड़ा जाता है।
Likee एप ने लॉन्च किया Covid-19 डैशबोर्ड