मानव जीवन मेे हर प्रकार की समस्या का समाधान हैं अब चाहे वह कैसी भी समस्या हो। इनमें से कुछ समस्या ऐसी होती है, जिनका हल मानव के बस के बाहर होता है लेकिन इसका मतलब यह नही होता की इन समस्याओं का अंत ही नहीं है। अगर जिन समस्या का हल मानव के पास नहीं है तो उन समस्याओं के लिए शास्त्रों का उपयोग कर सकते हैं। मानव के जीवन मे हर प्रकार की समस्यायें आती और जाती रहती हैं। हर प्रकार की परिस्थितियों में मानव यही सोंचता है कि यह समस्या भी उसके पास ज्यादा समय तक न रहे। लेकिन क्या आप जानते हैं मानव के जीवन मे तीन ऐसी परिस्थितियां जो उसके दुर्भाग्य को बढ़ाती हैं।
चाणक्य नीति में कई सारे नीतिगत श्लोक आचार्य चाणक्य ने दिए हैं जिनका जीवन के परिपेक्ष्य में बहुत महत्व है। इस श्लोक में जो तीन बातें बताई गई है वो हैं :
वृद्धाकाले मृता भार्या , बन्धुहस्ते गतं धनम ।
भोजनम च पराधीनम त्रयः पुंसां विडम्बनाः ।।
1 . वृद्धावस्था में अगर किसी की पत्नी मर जाये तो उसके लिए बहुत दुर्भाग्य की निशानी होती है। पत्नी एक मित्र के रूप में व्यक्ति के सदैव पास रहती है इसलिए उसे कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है अगर पुरुष की पत्नी मर जाये।
2 . अगर आपका धन किसी शत्रु के हाथों में चला गया तो आपको परेशानी होगी ही। एक तो आपका धन किसी अयोग्य के हाथ में चला गया दूसरा वो व्यक्ति आपके विरुद्ध ही आपके धन का उपयोग करेगा।
3. तीसरा दुर्भाग्य यह है कि अगर कोई पुरुष किसी का गुलाम या दास है तो उसको अपनी इच्छा से कुछ भी करने की अनुमति नहीं होती। इससे बड़ा दुर्भाग्य मनुष्य का नहीं हो सकता जब उसका भोजन भी किसी के अधीन हो।
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