'उन्होंने हमे पकड़ा, पीटा और भगा दिया..', रोज़गार की तलाश में गए 3.5 लाख अफगानियों को ईरान ने बुरी तरह खदेड़ा

'उन्होंने हमे पकड़ा, पीटा और भगा दिया..', रोज़गार की तलाश में गए 3.5 लाख अफगानियों को ईरान ने बुरी तरह खदेड़ा
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काबुल: अफगानिस्तान स्थित टोलो न्यूज ने तालिबान के नेतृत्व वाले शरणार्थी और प्रत्यावर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का हवाला देते हुए बताया है कि दो महीनों में 345,000 से अधिक अफगानों को ईरान से अफगानिस्तान निर्वासित किया गया है। तालिबान द्वारा नियुक्त शरणार्थी और प्रत्यावर्तन उप मंत्री अब्दुल रहमान रशीद ने कहा है कि, “मिज़ान के पहले (23 सितंबर) से लेकर 17 क़ौव (8 दिसंबर) तक ये संख्या लगभग 345,000 थी। इस्लामिक अमीरात द्वारा प्रत्येक परिवार को 10,000 अफ़्स (अफगानी मुद्रा) की नकद सहायता प्रदान की गई है।

मोहम्मद यूसुफ और फातिह खान, जो अपना गुजारा चलाने के लिए अफगानिस्तान छोड़कर ईरान गए थे, उन्हें ईरान से निर्वासित कर दिया गया है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ईरानी बलों द्वारा अफगान शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत की। यूसुफ ने कहा कि,  ''यहां कोई काम नहीं था, फिर हम अवैध रास्तों से ईरान चले गए। उन्होंने हमें पीटा और हिरासत में लिया।” खान ने कहा कि, “उन्होंने हमें पकड़ लिया और पीटा। उन्होंने हमें बुरी तरह पीटा और हमें वापस लौटने के लिए मजबूर किया।” निर्वासित लोगों ने अफगानिस्तान में रोजगार की कमी के बारे में चिंता जताई और तालिबान से नागरिकों के लिए रोजगार पैदा करने के प्रयास करने का आग्रह किया। 

एक अन्य निर्वासित अफगानी नागरिक शिरीन आगा ने कहा कि, "हम अपनी सरकार से हमें काम मुहैया कराने का आह्वान करते हैं, ताकि लोगों को छोड़ने के लिए मजबूर न होना पड़े।" एक निर्वासित अहमदुल्ला ने तालिबान से उन्हें काम मुहैया कराने का आह्वान किया। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा तब हुआ है जब ईरानी अधिकारियों ने कहा है कि बिना कानूनी दस्तावेजों वाले अफगानों को ईरान से निर्वासित किया जाएगा।

टोलो न्यूज के अनुसार, पिछले हफ्ते, ईरानी आंतरिक मंत्री अहमद वाहिदी ने दोहराया कि जो अफगान नागरिक वर्तमान में अवैध रूप से ईरान में रह रहे हैं, उन्हें अपने देश लौट जाना चाहिए। हालाँकि, वाहिफ़ी ने किसी समूह या देश का उल्लेख नहीं किया लेकिन कहा कि “दुश्मन” अफ़गानों और ईरानियों के बीच संघर्ष पैदा करके अफ़ग़ान विरोधी भावनाएँ भड़काना चाहता है। टोलो न्यूज के अनुसार, उन्होंने आगे बताया कि ईरान की राजधानी तेहरान ने भी दस्तावेजों के साथ अप्रवासियों के लिए योजना बनाई है। 

वाहिदी ने कहा कि, 'जब तालिबान यहां आए, तो मैंने उनसे कहा कि आपको उनके (अफगान प्रवासियों) लिए अपने देश लौटने के लिए जमीन तैयार करनी चाहिए। आख़िरकार, सभी को अपने-अपने जीवन में लौट जाना चाहिए। आपको उनकी वापसी के लिए एक तंत्र के साथ आना चाहिए, और उन्होंने हमें कुछ समय देने के लिए कहा था।' महिला अधिकार कार्यकर्ता आसिफा स्टैनिकजई ने कहा कि, "विभिन्न देशों और संगठनों को अफगानिस्तान की आंतरिक स्थितियों की परवाह किए बिना उन शरणार्थियों के लिए अपनी मानवीय सहायता जारी रखनी चाहिए जिन्हें मदद की ज़रूरत है।"

हालाँकि, ये भी एक गौर करने वाली बात है कि, ईरान और अफगानिस्तान दोनों इस्लामिक देश हैं, लेकिन एक-दूसरे की मदद करने को तैयार नहीं हैं। अफ़्ग़ानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद कई अफगानी देश छोड़कर भाग गए थे, लेकिन किसी मुस्लिम देश ने उन्हें शरण नहीं दी, यहाँ तक कि, 17 लाख अफगानी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भागकर पहुंचे थे, जिन्हे पाकिस्तान ने वापस खदेड़ दिया है। आज भी दुनियाभर के इस्लामिक देश गाज़ा और फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े हैं, लेकिन कोई भी उन्हें शरण देने के लिए तैयार नहीं है, और न ही कोई उनकी मदद करने के लिए आगे आ रहा है, पूरा समर्थन बस बयानों में है।

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