मुस्लिम धर्म के लोग बकरीद का त्यौहार बड़े धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। बकरीद इस्लाम का सबसे बड़ा त्यौहार होता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी देने का रिवाज है। अतः इसी को देखते हुए आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि बकरे की कुर्बानी देते समय किन बातों को ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
बकरे की कुर्बानी के दौरान ध्यान रखें ये बातें
- बकरीद के दिन कुर्बानी देने से पहले नमाज अदा जरूर करें।
- बकरे की कुर्बानी ऐसे व्यक्ति को कतई भी नहीं देनी चाहिए जो किसी कर्ज आदि में डूबा हुआ हो। ऐसे लोगों को इससे दूरी बनानी चाहिए।
- किसी भी ऐसे बकरे की कुर्बानी नहीं देना चाहिए जो किसी शारीरिक पीड़ा से गुजर रहा हो। कुर्बानी के लिए न ही छोटा बकरा होना चाहिए और न ही ऐसे बकरे की बलि देनी चाहिए जो कमजोर हो या जिसके शरीर का कोई भाग पूरा न हो। एक स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट बकरे की ही बलि मान्य होती है।
- ऐसे बकरे को नहीं खरीदना चाहिए जो किसी गलत उद्देश्य से बेचा गया हो।
कैसे हुई बकरीद मनाने की शुरुआत ?
एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा ली। हजरत से अल्लाह ने कहा कि तुम्हें अपनी सबसे प्रिय चीज की बलि देने होगी तब हजरत ने अपने बेटे की बलि देना उचित समझा। क्योंकि हजरत अपने बेटे इस्माइल से अधिक प्रेम करते थे और उन्होंने फैसला किया कि अल्लाह के आदेश के अनुसार अपनी सबसे अजीज चीज यानी कि अपने बेटे की बलि दी जाए। अपने बेटे को जिस समय हजरत कुर्बान कर रहे थे, ठीक उस समय अल्लाह ने उसे बदलकर उसके स्थान पर बकरे को रख दिया और अल्लाह हजरत से काफी खुश हुए। इस तरह अल्लाह की परीक्षा में हजरत पास हो गए। तब से ही बकरे की कुर्बानी देने के रिवाज का सिलसिला जारी है।
आपको बता दें कि बकरीद या बकरा ईद पर यूं तो बकरे को हे कुर्बान किया जाता है, हालांकि कुछ लोग इस दिन गाय, ऊंट और बकरी आदि की कुर्बानी भी देते हैं।
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