एक तरफ जहाँ मानव पानी की खोज में मंगल ग्रह तक पहुंच गया है तो वहीँ दुनिया के अधिकांश देशों में पीने योग्य पानी की किल्लत मची हुयी है. इन हालातों को देखकर तो यह भी कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध जल संकट के लिए होगा.
लोगों के बीच जल का महत्व, आवश्यकता और संरक्षण के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये प्रति वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रुप में मनाया जाता है. विश्व जल दिवस की पहल, रियो डि जेनेरियो में 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) में की गई थी और इसके अगले साल 1993 से प्रति वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप मनाना शुरू कर दिया.
दुनिया के 1.5 अरब लोग पीने के शुद्ध पानी से वंचित हैं
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 1.5 अरब लोग पीने के शुद्ध पानी पानी से वंचित हैं जबकि भारत में साढ़े सात करोड़ से ज़्यादा लोग पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे हैं यहाँ नदियां प्रदूषित हैं और जल संग्रहण का ढांचा चरमराया हुआ है. हांलाकि भारत सरकार नदियों को बचाने के लिए 'नमामि गंगै' जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है.
साफ पानी के अभाव वाले मुल्कों में भारत का नाम
वॉटरऐड संस्था की 2016 में आई एक रिपोर्ट में भारत को साफ पानी के अभाव से सबसे ज्यादा ग्रस्त लोगों वाले देशों में जगह मिली थी. भारत में पानी की दुर्दशा चौंकाने वाली है जबकि वह पानी की कमी वाला देश नहीं है. भारत में पानी को लेकर सामाजिक रूढ़ियों और जातिगत अन्तर्विरोधी मामले भी बहुत ज्यादा है. पानी सबका अधिकार तो है पर पानी पर अपना एकाधिकार जताना ठीक नहीं है जो कि सामूहिक हिंसा का कारण बन रहा है. कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक दलित वृद्ध को पानी भरने से रोका गया था जब उसने इसका विरोध किया तो लोगों ने उसे पीट पीटकर मार डाला इसलिए जल बचाएं, शांति पाएं.
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