बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में कुछ ऐसी अभिनेत्रियाँ होती हैं जो अपनी पहली फिल्म से ही दर्शकों के दिलों में जगह बना लेती हैं, लेकिन समय के साथ उनका स्टारडम फीका पड़ जाता है। ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं विजयता पंडित। उन्होंने 80 के दशक की शुरुआत में अपने करियर की शुरुआत की और अपनी खूबसूरती और अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया, लेकिन धीरे-धीरे वे फिल्मी दुनिया से दूर होती चली गईं। आज उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं उनकी कहानी और वर्तमान जीवन के बारे में।
विजयता पंडित का जन्म 25 अगस्त 1967 को मुंबई में हुआ था। महज 14 साल की उम्र में विजयता ने बॉलीवुड में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म 'लव स्टोरी' थी, जो 1981 में रिलीज हुई। इस फिल्म में विजयता ने अभिनेता कुमार गौरव के साथ काम किया, और दोनों की जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और विजयता को रातोंरात स्टार बना दिया।
'लव स्टोरी' की सफलता के बाद विजयता ने कई और फिल्मों में काम किया जैसे 'जीते हैं शान से', 'दीवाना तेरे नाम का', 'मोहब्बत' और 'कार थीफ'। लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म उनकी पहली फिल्म की तरह सफल नहीं रही। विजयता धीरे-धीरे फिल्मी दुनिया से दूर होती गईं।
विजयता पंडित की जिंदगी में एक और महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने 'कार थीफ' के डायरेक्टर समीर मल्कान से शादी की। लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई और दोनों का तलाक हो गया।
समीर मल्कान से अलग होने के बाद विजयता ने 1990 में मशहूर म्यूजिक कंपोजर आदेश श्रीवास्तव से दूसरी शादी की। इस शादी से उनके दो बेटे हुए। लेकिन विजयता की खुशियों पर तब ग्रहण लगा जब 2015 में आदेश का कैंसर के कारण निधन हो गया।
2010 में आदेश श्रीवास्तव को अपनी बीमारी का पता चला। उनका इलाज कराने में विजयता ने अपनी सारी जमा पूंजी खर्च कर दी। आदेश की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें विदेश में भी इलाज कराया गया, जिसके लिए विजयता ने अपनी लग्जरी कार तक बेच दी। इसके बावजूद आदेश को बचाया नहीं जा सका।
आदेश श्रीवास्तव के निधन के बाद विजयता पंडित ने फिल्मी दुनिया से पूरी तरह से दूरी बना ली। अब वे अपना समय अपने परिवार के साथ बिताती हैं और घर-परिवार की देखभाल करती हैं। फिल्मी दुनिया से दूर रहकर भी वे अपने बच्चों के लिए एक मजबूत स्तंभ बनी हुई हैं। विजयता पंडित का करियर एक समय पर बेहद चमकदार था, लेकिन निजी जिंदगी की कठिनाइयों ने उन्हें गुमनामी की ओर धकेल दिया। बावजूद इसके, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। आज भी वे एक मजबूत महिला के रूप में जानी जाती हैं, जिन्होंने जिंदगी के तमाम उतार-चढ़ावों का सामना करते हुए अपने परिवार का साथ नहीं छोड़ा।
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