MP में 'गीता जयंती' पर बना ये बड़ा वर्ल्ड रिकॉर्ड

MP में 'गीता जयंती' पर बना ये बड़ा वर्ल्ड रिकॉर्ड
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भोपाल: मध्यप्रदेश में गीता पाठ का विश्व रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया गया। राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में सीएम मोहन यादव की उपस्थिति में 5,000 से अधिक आचार्यों ने सामूहिक रूप से गीता के तीसरे अध्याय 'कर्म योग' का सस्वर पाठ किया। यह कार्यक्रम सरकार द्वारा जन्माष्टमी, गोवर्धन पूजा एवं शस्त्र पूजा जैसे आयोजनों के पश्चात् विशेष रूप से आयोजित किया गया था।

यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में गीता के संदेश को व्यापक स्तर पर पहुंचाना तथा सांस्कृतिक एवं धार्मिक मूल्यों को बढ़ावा देना था। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रातः 10 बजे से राज्य स्तरीय कार्यक्रम आरंभ हुआ। इसमें 5,000 आचार्यों ने एक साथ गीता का पाठ किया, जो लगभग 9 मिनट तक चला। इस के चलते 'कर्म योग' अध्याय के श्लोकों का उच्चारण सस्वर किया गया।

विश्व रिकॉर्ड का ऐलान:-
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के पदाधिकारियों ने इस सामूहिक गीता पाठ को विश्व रिकॉर्ड के रूप में मान्यता दी। उन्होंने मंच पर ही मुख्यमंत्री मोहन यादव को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र सौंपा। इस उपलब्धि को न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐतिहासिक बताया गया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, "आज भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निकले गीता के श्लोकों का सामूहिक वाचन सिर्फ मध्यप्रदेश या भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में पहली बार हुआ है। यह आयोजन हमारी संस्कृति और धार्मिक मूल्यों की पहचान को सुदृढ़ करने वाला है। मैं इसके लिए सभी भागीदारों और आयोजकों का हृदय से धन्यवाद करता हूं। हम किसी अन्य पूजा पद्धति का विरोध नहीं करते, किन्तु अपनी परंपराओं और पूजा पद्धति का प्रचार-प्रसार करना हमारा अधिकार है।"

कांग्रेस ने जताई आपत्ति:- 
वही इस कार्यक्रम पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इसे भारतीय जनता पार्टी सरकार का राजनीतिक एजेंडा बताया। उन्होंने कहा, "शासकीय धन का इस्तेमाल कर इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों को बढ़ावा देना एक सेक्युलर सरकार के सिद्धांतों के खिलाफ है। भाजपा सरकार RSS के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। सरकारी संसाधनों का उपयोग सिर्फ धार्मिक कार्यक्रमों के लिए करना सही नहीं है। सरकार को सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करना चाहिए।"

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