मनोरंजन जगत में ऐसे से बढ़कर एक हिट फ़िल्में है, जिन्होंने दर्शकों के दिल और दिमाग में एक अलग ही स्थान बना लिया है, अब फ़िल्में इतनी दमदार है तो आइटम सांग्स तो होंगे ही बेस्ट वहीं बीते कई दिनों से बॉलीवुड की मोस्ट पॉपुलर मूवी 'करण अर्जुन' जी हां मेरे करण अर्जुन आएँगे...जैसे डायलॉग के लिए फेमस और इसी फिल्म का गाना गुपचुप गाना बहुत ही ज्यादा लोगों के बीच चर्चाओं में रहा. और तो और आज भी ये गाना उतना ही सुना जाता है जितना पहले सुना जाता था. तारीफ के साथ-साथ एक तबके ने इसकी निंदा भी बड़ी मात्रा में की जा रही थी। इसे कथित तौर पर 'अश्लील' कहा भी बोला गया है। इस गाने को लोकप्रिय गायिका इला अरुण और अल्का याग्निक ने एक साथ गया था। हाल ही में इला अरुण गाने को लेकर अपने विचार को शेयर करते हुए दिखाई दिए।
बोलीं- अश्लील नहीं थे उस दौर के गाने: खबरों का कहना है कि बॉलीवुड में कई क्लासिक गानों को अपने सुरीले कंठ से सजाने वाली इला अरुण का इस बारें में बोलना है कि उस दौर के गाने कभी अश्लील नहीं हो सकते। मीडिया के साथ बात करते समय इला अरुण ने करण अर्जुन फिल्म के 'गुपचुप गुपचुप' गाने पर बात करते हुए बोला है कि तब के गाने अश्लील नहीं थे, बल्कि उनमें चुलबुलापन भी है। हल्की-फुल्की शरारत थी। बता दें कि इस गाने को राजेश रोशन ने कंपोज किया। इसके इंदीवर के द्वारा लिखा गया है।
जो गांव में नहीं रहे वे शायद ही समझें: इतना ही नहीं इस बारें में बॉलीवुड सिंगर इला अरुण ने बोला है कि, 'अश्लीलता और चिढ़ाने के बीच एक रेखा होती है'। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि, 'जब चोली के पीछे गाना रिलीज हुआ था, तो लोगों ने इसे कमतर आंकने का प्रयास किया था, लेकिन यह कभी भी एक गंदा गाना नहीं कहा जा सकता। यह मजाकिया ढंग का गाना था। जैसे आती क्या खंडाला या चोली के पीछे। ये गाने मजेदार थे। जो लोग गांवों में नहीं रहे हैं या बड़े परिवारों में नहीं पले-बढ़े हैं, वे शायद इन्हें न समझ पाएं। उन दिनों टीवी नहीं थे, इसलिए लोगों ने विवाह और होली जैसे अवसरों के लिए अपने खुद के गाने बनाए'।
क्लासिक गानों को फिर से बनाने के ट्रेंड पर जताई चिंता: अब इस बारें में इला अरुण ने आगे कहा है कि , 'ये गाने पारिवारिक समारोहों में गाए जाते थे, जहां भाभियां एक-दूसरे को चिढ़ाती थीं या देवर और भाभी के बीच मजाकिया नोकझोंक होती हुई दिखाई दी। लेकिन आज, गाने अश्लीलता की सीमा को पूरी तरह से लांघ चुके है। अश्लीलता और मजाकिया छेड़छाड़ में बहुत अंतर है। चोली के पीछे, गुप चुप, ये सभी गाने मस्ती-मजाक वाले होते थे। इनमें अश्लीलता नहीं थी'। अरुण ने क्लासिक गानों को फिर से बनाने के मौजूदा चलन पर भी चिंता भी व्यक्त की थी।
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