नई दिल्ली: भारत में हर माह आने वाली मासिक शिवरात्रि का खास धार्मिक महत्व होता है, लेकिन पौष मास की शिवरात्रि का स्थान इनमें सबसे विशिष्ट माना जाता है। यह न केवल साल की आखिरी शिवरात्रि होती है, बल्कि इसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। 2024 में पौष मास की शिवरात्रि 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव के भक्त व्रत रखते हैं और पूरी रात जागकर शिवलिंग की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हिंदू धर्म में शिवरात्रि को भगवान शिव की आराधना का प्रमुख दिन माना जाता है। शिवजी को "आद्य योगी" और "महादेव" कहा गया है, जो सृष्टि के संहारक और पुनर्सर्जनकर्ता हैं। शिवरात्रि का व्रत जीवन में शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। यह दिन आत्म-शुद्धि और तपस्या के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि का व्रत रखने और पूरी श्रद्धा से शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौष मास की मासिक शिवरात्रि इस बार 29 दिसंबर 2024 को सुबह 3 बजकर 3 मिनट पर प्रारंभ होगी और 30 दिसंबर 2024 को सुबह 4 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत और पूजा के लिए रात का समय विशेष रूप से शुभ माना गया है। भक्त इस दौरान जागरण करते हुए भजन-कीर्तन और शिव स्तुति करते हैं। शिवरात्रि के दिन उपवास रखने की परंपरा है। इस दौरान लोग फलाहार करते हैं और रात्रि भर जागरण करते हुए शिवलिंग की पूजा करते हैं। पूजा के समय भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। सबसे प्रभावी मंत्र है:
“ॐ नमः शिवाय”
यह मंत्र व्यक्ति के पापों को नष्ट कर उसे आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है। इसके अलावा, “ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्तिर्मामृतात्।” इसे महामृत्युंजय मंत्र कहते हैं, जिसका जाप भी अत्यंत फलदायक माना गया है।
शिवरात्रि की पूजा के लिए सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। इसमें शुद्ध जल, गाय का दूध, दही, शहद, गंगाजल और चंदन का मिश्रण उपयोग किया जाता है। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और फूल चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। पूजा के दौरान धूप, दीपक और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को शुद्ध किया जाता है। भक्त शिवजी की आरती और भजन-कीर्तन करते हैं। पूजा के अंत में भगवान शिव को फल, बेर और आंवला का भोग अर्पित किया जाता है।
पौष मास की शिवरात्रि का व्रत रखने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिवजी की कृपा से जीवन की हर समस्या का समाधान हो सकता है। शिवरात्रि का व्रत भक्त को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करता है और सकारात्मकता से भर देता है।
पौष मास की शिवरात्रि, भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। इस दिन की पूजा और व्रत, भक्त के जीवन को खुशहाली और समृद्धि से भर देते हैं। शिवभक्त इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाकर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।