चन्द्रमा की कलाओं के अध्ययन के फलस्वरूप तीन वर्षों में एक बार अधिकमास माने जाने वाले ज्येष्ठ माह मलमास की शुरुआत आज यानि 16 मई से हो चुकी है जो की 13 जून तक रहेगा. इस महीने को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार मलमास में यज्ञोपवित,नवीन गृह प्रवेश,विवाह, बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी आदि वर्जित होता है साथ ही इसी महीने नृसिंह भगवान ने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए उसके पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप का वध किया था.
दैत्यराज हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा के द्वारा प्राप्त वरदान के अनुसार, " वह साल के 12 महीनो में ना मरें,किसी भी शस्त्र-अस्त्र से ना मरें, ना कोई मनुष्य से मरूं ना ही देवता-असुर आदि से, ना रात को मरूं ना दिन में मरूं.' उसके इस वरदान को भेदते हुए नृसिंह भगवान, जो मनुष्य और सिंह का स्वरूप धारण किया था, ने उसे घर की देहरी पर अपने नाखूनों से फाड़ डाला.
मान्यता के अनुसार, अधिकमास के स्वामी श्रीहरि नर्सिंह इसलिए बने क्योंकि अन्य देवताओं ने इसका स्वामी बनने से मना कर दिया.तभी इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है.इन दिनों में श्रीहरि की प्रसन्नता हेतु स्नान-दान व्रत अवश्य करना चाहिए . यह जरूर ध्यान रखें कि प्रथम पूज्य गणेश जी, शिव जी और अपने इष्टदेव- कुलदेवी, कुलदेवता आदि की पूजा भी इस दौरान जरूर करते रहना चाहिए.
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