नई दिल्ली: राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग करने वाली याचिका को शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका ख़ारिज की है कि किसी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का काम नीतिगत मसला है, यह फैसला सिर्फ सरकार ही कर सकती है।
प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेपी पादरीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मसलों पर सरकार को रिट जारी नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि, 'राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई है। सरकार के वकील की तरफ से कन्हैयालाल सेठी मामले में हमारे फैसले को रिकॉर्ड में रखा गया है। हम इस विचार से सहमत हैं और याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कुछ और भाषाओं को शामिल करने की मांग की जा सकती है और यह कुछ ऐसा है जिसका जवाब सिर्फ राजनीतिक कार्यपालिका दे सकती है। वकील रुपुदमन सिंह की तरफ से दाखिल की गई याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने यह बात कही। बता दें कि संविधान की 8वीं अनुसूची में आधिकारिक भाषाओं की सूची है।
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