भोपाल: भारत की सबसे बड़ी और पवित्र नदियों में शुमार गंगा की पवित्रता को बरकरार रखने एवं प्रदूषण मुक्त करने के लिए मध्य प्रदेश के 48 जिलों में जिला गंगा समिति का गठन किया जाने वाला है। यह समितियां यमुना की सहायक नदियों बेतवा, सोन, चंबल, टोंस समेत अन्य नदियों के संवर्धन, संरक्षण एवं स्वच्छता का ध्यान रखेगी। प्रत्येक जिले में समिति की अध्यक्षता कलेक्टर द्वारा की जाएगी तथा वह सहायक नदियों की गंदगी गंगा में जाने से रोकेंगे।
मंत्रालय में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बेस की अध्यक्षता में आयोजित की गई बैठक में राष्ट्रीय गंगा मिशन के तहत जिला गंगा समिति बनाने का फैसला लिया गया है। यह समिति उज्जैन की शिप्रा, इंदौर की कान्हा, मंदसौर की शिवना, ग्वालियर की मुरार, चित्रकूट की मंदाकिनी समेत अन्य नदियों की स्वच्छता पर खास रूप से ध्यान देगी। इनके लिए स्वीकृत की गई परियोजनाओं पर भी वक़्त-वक़्त पर समीक्षा की जाएगी। राष्ट्रीय गंगा मिशन के तहत इन नदियों की स्वच्छता के लिए बनाई गई विभिन्न परियोजना के अंतर्गत 704 करोड रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इस राशि के माध्यम से शिवना एवं मंदाकिनी में गिरने वाले गंदे नालों को डायवर्ट करने के साथ घाट बनाना भी प्रस्तावित है।
समिति द्वारा उन नदियों पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा जिनका पानी गंगा या यमुना में मिलता है। गंगा तथा यमुना की सहायक नदियों पर जो अतिक्रमण हुआ है उसे हटाया जाएगा एवं नया अतिक्रमण नहीं करने दिया जाएगा। इस बैठक में ये फैसला लिया गया है कि वन विभाग द्वारा गंगा एवं यमुना की सहायक नदियों के किनारे दो किलोमीटर तक पौधारोपण किया जाए। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर सरकारी तथा निजी भूमि पर पौधारोपण करने की बात कही गई है। जानकारी के अनुसार, लगभग 48 हजार हेक्टेयर में पौधारोपण किया जाने वाला है। जिसमें लगभग 524 करोड़ की लागत आएगी। वन विभाग के अफसरों ने बैठक में ये भी बताया है कि अब तक अलग अलग योजनाओं के अंतर्गत 7 हजार हेक्टेयर में पौधे लगाए जा चुके हैं।
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