1- जितनी प्रभु की सेवा अधिक उतनी समृद्धि और शांति अधिक ।
2- प्रभु संघ के बाद हमारा पूरा जीवन ही उत्सव बन जाता है ।
3- सबसे उत्तम मैत्री सदग्रंथों से होनी चाहिए क्योंकि वे हमें प्रभु की भक्ति प्रदान करते हैं ।
4- पापी व्यक्ति भी अगर प्रभु भक्ति में लग जाता है तो वह भी महात्मा बन जाता है ।
5- प्रभु के सदगुणों का अनुसरण अपने जीवन में करना चाहिए ।
6- हर पल स्मरण प्रभु का ही होना चाहिए ।
7- प्रभु को प्रेमाभक्ति से निहारना चाहिए ।
8- भक्ति के कारण जब एक बार प्रभु जीव को पकड़ लेते हैं तो फिर उसे मुक्त करके ही छोड़ते हैं ।
9- प्रभु का जो स्पर्श पा जाता है उसके सभी पाप उसी समय भस्म हो जाते हैं ।
10- प्रभु को किसी भी भाव से याद करें, वे हमारा कल्याण ही करेंगे ।
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