नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इसे रोकने का संकल्प जताया है। कानपुर में एक कार्यक्रम के दौरान जुम्मे की नमाज के बाद मौलाना खालिद ने मदरसे में लोगों से मुलाकात की और सरकार के इस बिल पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों के लिए एक "जिंदगी और मौत का मसला" है और इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बिल लागू किया गया, तो देश का मुसलमान जेलों को इस कदर भर देगा कि हुकूमत के पास मुलाजिमों को रखने की जगह नहीं बचेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी की जान लेने की नहीं, बल्कि अपनी जान देने के लिए मुसलमान भी तैयार हैं।खालिद सैफुल्लाह ने बिल के संभावित परिणामों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से उन्हें जानकारी मिली है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुसलमानों को शामिल करने की योजना है। ऐसे में, उन्होंने सवाल उठाया कि क्या गैर-मुसलमान मस्जिदों और कब्रिस्तानों की देखभाल के प्रति संवेदनशील होंगे?
उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों से उनकी वक्फ की जमीन छीनने का प्रयास है। उन्होंने उदाहरण दिया कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में मंदिरों की लाखों एकड़ जमीनें हैं, जबकि पूरे देश में मुसलमानों के पास वक्फ की कुल 6 लाख एकड़ जमीन ही है।
मौलाना खालिद ने बताया कि बिल के पारित हो जाने के बाद, कलेक्टर को मामलों का निर्णय करने का अधिकार होगा। उन्होंने चिंता जताई कि अगर कोई कलेक्टर सरकार के खिलाफ फैसला नहीं देता है, तो मुसलमानों की जमीनें उनसे छिन सकती हैं। उनका मानना है कि जब यह मामले कलेक्टर के हाथ में जाएंगे, तो सरकार के खिलाफ फैसला आना मुश्किल होगा क्योंकि कलेक्टर सरकार के अधीन ही होते हैं।
खालिद सैफुल्लाह के इस बयान से वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में विरोध का स्वर मुखर होता दिख रहा है, जो इस बिल को मुसलमानों के अधिकारों पर सीधा हमला मानते हैं।
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