तेहरान: ईरान ने अपने सैनिकों को इजरायली हमलों के बाद किसी भी तरह के संचार यंत्रों का इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी है। ईरान रेवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने सभी जवानों के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की जांच शुरू कर दी है ताकि इजरायली हमलों से बचा जा सके, जैसा कि हाल ही में हिजबुल्लाह के लड़ाकों के साथ हुआ था। जानकारी के मुताबिक, अधिकांश डिवाइसेस ईरान में बने हैं या फिर रूस और चीन से आयात किए गए हैं।
17 सितंबर 2024 को लेबनान और सीरिया में हिजबुल्लाह के लड़ाकों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे पेजर अचानक फट गए, जिससे 12 लोगों की मौत और 4000 से अधिक लोग घायल हुए। अगले दिन वॉकी-टॉकी, डोरबेल और डिश कनेक्शन में भी विस्फोट हुए। हिजबुल्लाह ने पुरानी तकनीक जैसे पेजर का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि इन्हें हैक करना मुश्किल माना जाता था, लेकिन इजरायल की नई तकनीक के सामने ये भी सुरक्षित नहीं रह सके।
हिजबुल्लाह ने काउंटर-इंटेलिजेंस के कई यंत्र और तकनीकें विकसित की हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और इंटरसेप्ट टेक्नोलॉजी शामिल हैं। माना जाता है कि 1980 के दशक से हिजबुल्लाह ने ये सिस्टम स्थापित किए थे। ईरान और रूस की मदद से हिजबुल्लाह ने अपनी काउंटर-इंटेलिजेंस क्षमता को मजबूत किया है, लेकिन इजरायल की नई तकनीक के सामने यह रक्षा भी कमजोर साबित हो रही है।
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