कुछ इस तरह अस्तित्व में आया तालिबान, तब समझौते के लिए मजबूर हुआ अमेरिका

कुछ इस तरह अस्तित्व में आया तालिबान, तब समझौते के लिए मजबूर हुआ अमेरिका
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वाशिंगटन: बीते दिनों लगातार बढ़ रहे आतंकी हमले की वारदातें पूरी दुनिका के लिए समस्या बन चुकी है. अमेरिका ने आतंकी संगठन तालिबान के साथ बीते शनिवार यानी 29 फरवरी 2020 को ऐतिहासिक समझौता हो चुका है. इसके बाद अगले 14 महीनों में सभी अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे. वहीं तालिबान ने 1996 और 2001 के बीच अफगानिस्तान पर शासन कर रहे थे. हालांकि सत्ता से बेदखली और विद्रोह शुरू करने से पहले तालिबान ने देश में सख्त इस्लामिक शरिया कानून लागू किया. तालिबान ने अफगानिस्तान को आग में झोंक दिया. ऐसे वक्त में तालिबान के बारे में जानना जरूरी है.

तालिब से बना तालिबान: वहीं यह भी कहा जा रहा है कि 1979-1989 के सोवियत कब्जे के दौरान अफगानिस्तान से भागकर के पाकिस्तान के मदरसों सुन्नी इस्लामिक स्कूलों में पढ़ने वाले युवा अफगानों के बीच तालिबान अस्तित्व में आया. वहीं छात्र के लिए अरबी में तालिब शब्द है. इसी से तालिबान बना.

खूंखार आतंकी मौलाना उमर: वहीं इस बात का पता चला है कि पिछली सदी के नौवें दशक की शुरुआत में, अफगानिस्तान में गृहयुद्ध के दौरान अराजकता और भ्रष्टाचार के बीच तालिबान का गठन एक आंख वाले मौलाना उमर के नेतृत्व में कंधार के दक्षिणी प्रांत में किया गया. जानकारी के अनुसार उमर 2013 में अपनी मृत्यु तक इस आतंकी संगठन का सरगना रहा.

तालिबान में पश्तून लड़ाके: मौलाना उमर का पश्तून जातीय समूह पर शक्तिशाली प्रभाव था, जिससे ज्यादातर तालिबान लड़ाके आ रहे हैं. तालिबान की कमान अब हैबतुल्ला अखुंदजादा के पास है, जबकि तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला बरादर राजनीतिक विंग का प्रमुख है.

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