जब किसी मास में दिनों की संख्या दो मास के बराबर हो जाये तो वह अधिक मास होता है. इस वर्ष भी ज्येष्ठ मास में मध्य से अधिक मास जिसे हिंदी पंचांग में पुरूषोत्तम मास या मल मास भी कहा जाता है कि शुरुआत हो चुकी है. शास्त्रानुसार इस माह में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते बल्कि धार्मिक अनुष्ठान, स्नान, दान, उपवास आदि धर्म-कर्म के कार्य ही किए जाते है और इनसे समृद्धि मिलती है.
इस बार पुरुषोत्तम मास 16 मई से 13 जून तक रहने वाला है. ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार इस बार तीन साल बढ़ यह मलमास आया है. इस मास में घरों में यज्ञ और पाठादि से सुख शांति और समृद्धि बढ़ती है साथ ही पारिवारिक सुखों में वृद्धि होती है.इस मास में किसी भी नए कार्य की शुरुआत नहीं की जाती है पर जो कार्य पहले शुरु किये जा चुके हैं उन्हें जारी रखा जा सकता है.
पुरुषोत्तम मास में प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर भगवान सूर्य को पुष्प,चंदन एवं अक्षत से मिश्रित जल का अर्घ्य देना और उनकी पूजा करनी चाहिये. इस मास में शुद्ध घी के मालपूएं बनाकर कांसे के बर्तन में फल, वस्त्र आदि दान करने से धनलाभ होता है. इस पूरे मास में सूर्य की आराधना व्रत, तीर्थ स्नान, भागवत पुराण, ग्रंथों का अध्ययन,विष्णु यज्ञ आदि से भगवन सूर्य की कृपा बरसाती है और घर में धन,धान्य और सम्मान में वृद्धि मिलती है.
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