एक बार में ही पूरी दुनिया का काम तमाम कर सकती है ये मिसाइल

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1961 में सोवियत संघ ने दुनिया के इतिहास में सबसे खतरनाक और शक्तिशाली परमाणु बम का परीक्षण किया। इसे 'जार बांबा' के नाम से जाना जाता है, और इसने न केवल उस समय को बदल दिया बल्कि इसके प्रभाव को आज भी महसूस किया जा सकता है। इस परमाणु बम का परीक्षण इतना विनाशकारी था कि इसका धमाका 1000 किलोमीटर दूर से भी देखा गया। यह बम एक झटके में लाखों लोगों की जिंदगी खत्म करने की क्षमता रखता था और आज भी परमाणु शक्ति के इतिहास में अपनी अलग पहचान रखता है।

60 लाख लोगों को मारने की क्षमता

इस रूसी परमाणु बम की ताकत को समझना मुश्किल नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह बम लंदन जैसे बड़े शहर पर गिराया जाता, तो लगभग 60 लाख लोग एक झटके में मारे जाते। इसके अलावा, जार बांबा की शक्ति हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से 1,570 गुना अधिक थी। यह बम 50 मेगाटन टीएनटी के बराबर ऊर्जा पैदा कर सकता था, जिसका मतलब है कि यह एक बार में पूरे शहर को मिटा सकता था।

ब्रिटिश इतिहासकार एलेक्स वेल्लेरस्टीन के मुताबिक, अगर जार बांबा को लंदन शहर पर गिराया जाता, तो 58 लाख लोगों की मौत हो जाती। इसका प्रभाव 9 किलोमीटर की दूरी तक भारी तबाही मचाता, जिसमें हर इमारत नष्ट हो जाती और हर व्यक्ति की जान चली जाती। हल्का असर लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तक महसूस किया जाता। इतनी अधिक विनाशक क्षमता के कारण, इस बम को "धरती के खत्म होने का हथियार" कहा गया है।

6 दशक तक टॉप सीक्रेट रखा गया

जार बांबा को एक विशेष प्रोग्राम "इज़डेलिए 202" के तहत बनाया गया था, और इसे रूसी सेना ने आर्कटिक महासागर में नोवाया जेमलिया के पास गिराया था। हालांकि, इस परीक्षण को दुनिया से छिपाया गया और पश्चिमी देशों को इसकी जानकारी मिलने पर इसका नाम 'Tsar Bomba' रखा गया।

विशेषज्ञों के अनुसार, सोवियत संघ ने इस परीक्षण के जरिए तकनीकी क्षेत्र में एक शानदार उपलब्धि हासिल की। लेकिन इस बम की ताकत इतनी अधिक थी कि इसे कैमरों से सैकड़ों मील की दूरी से रिकॉर्ड किया गया था। कैमरों को लो लाइट पोजीशन में रखा गया ताकि परमाणु विस्फोट की चमक से वे 'अंधे' न हो जाएं। इस परीक्षण की पूरी घटना को लगभग 40 सेकंड तक रिकॉर्ड किया गया, जिसके बाद आग का गोला एक मशरूम के आकार में बदल गया। एक विमान, जो इस विस्फोट स्थल से 100 मील की दूरी पर था, ने इस मशरूम आकार के गुबार को रिकॉर्ड किया, जो लगभग 213,000 फुट की ऊंचाई तक पहुंच गया था।

इस विस्फोट के फुटेज को रूस ने करीब 6 दशक तक टॉप सीक्रेट रखा। हाल ही में रूस ने अपने परमाणु कार्यक्रम के 75 साल पूरे होने के अवसर पर इस फुटेज को सार्वजनिक किया।

वैश्विक प्रभाव और हथियारों की दौड़

जार बांबा के परीक्षण ने वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों की दौड़ को एक नया मोड़ दिया। इस घटना के बाद, दुनिया भर के देशों ने अपने परमाणु कार्यक्रमों पर ध्यान देना शुरू कर दिया। चीन ने अंतरिक्ष में घूमने वाली मिसाइलों का परीक्षण कर हथियारों की इस दौड़ में खुद को शामिल कर लिया, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ी। सोवियत संघ के इस परीक्षण ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि परमाणु युद्ध कितना विनाशकारी हो सकता है। यह बम, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु परीक्षण घटना माना जाता है, ने भविष्य के परमाणु समझौतों और हथियारों के नियंत्रण पर गंभीर विचार-विमर्श को जन्म दिया। जार बांबा का परीक्षण एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसने दुनिया को परमाणु हथियारों की ताकत और उनके संभावित परिणामों से अवगत कराया। आज भी, इस बम के प्रभाव और इसके पीछे की तकनीक को समझने की कोशिश की जाती है। यह घटना मानवता के लिए एक चेतावनी की तरह है कि अगर परमाणु युद्ध हुआ, तो उसका अंजाम कितना भयानक हो सकता है।

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