प्रदुषण,धूल मिट्टी से वैसे ही पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। और अब मच्छरों से होने वाली ये बीमारिया भी जान लेवा होती जा रही है। मलेरिया, डेंगू व फाइलेरिया जैसी बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों की प्रजातियों के बीच एक ऐसा मच्छर भी है जो इन बीमारियों की रोकथाम में कारगर हो सकता है। जंगलों में ही पाए जाने वाले टेक्सोरिनकाइटिस नामक इस मच्छर की प्रजाति झांसी शहर में मलेरिया विभाग के कीट वैज्ञानिक ने ढूंढ निकाली है।
इस प्रजाति के मच्छरों का लार्वा डेंगू, मलेरिया व फाइलेरिया के मच्छरों के लार्वा को खा जाता है। बताया गया है कि ये मच्छर जंगलों की हवा के बहार नही रह पाते हैं। दुर्लभ प्रजाति का है यह मच्छर, मलेरिया वेक्टर जनित रोग विभाग के कीट वैज्ञानिक ने बताया कि विभाग के कीट संग्राहकों ने कुछ दिन पहले नगर के चंद्रशेखर मुहल्ले में स्थित इंदिरा पार्क में एक गड्ढे से कुछ लार्वा एकत्रित किए थे। सामान्य प्रक्रिया के तहत एडिज, क्यूलेक्स व एनाफिलीज लार्वा के साथ इन नए लार्वा को भी रखा गया।
एक- दो दिनों के भीतर तीन नए लार्वा ने साथ रखे गए अन्य लार्वा को खा लिया। इस नए लार्वा पर शोध करने के बाद पता चला कि यह अति दुर्लभ टेक्सोरिनकाइटिस प्रजाति का मच्छर है। यह मच्छर मनुष्य का खून चूसने के बजाए, फूल व पेड़ पौधों से रस लेकर जिंदा रहता है। इसी वजह से इसका जीवन चक्र जंगलों में सीमित रहता है। शहरी वातावरण इन्हें रास नहीं आता है।