दाह संस्कार के समय नहीं जलता शरीर का ये अंग

दाह संस्कार के समय नहीं जलता शरीर का ये अंग
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जीवन में किसी अपने को खोने का दर्द सबसे बड़ा होता है, लेकिन यह जीवन का सच है जिसे हर इंसान को स्वीकार करना पड़ता है। हर धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक के अलग-अलग संस्कार होते हैं। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद दाह संस्कार की परंपरा है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक संस्कार है, जिसमें मृत शरीर को जलाकर उसकी अस्थियों का नदी में विसर्जन किया जाता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि दाह संस्कार के समय शरीर का कौन सा हिस्सा नहीं जलता? आइए, हम आपको बताते हैं।

दाह संस्कार का महत्व

हिंदू धर्म में मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को छोड़कर नए जीवन की ओर बढ़ती है। ऐसे में शरीर को जलाकर उसे पंचतत्वों में विलीन किया जाता है। जब मृत शरीर को आग के हवाले किया जाता है, तो कुछ ही घंटों में शरीर का हर हिस्सा जलकर राख में बदल जाता है। इस दौरान अधिकांश हड्डियां भी जल जाती हैं, लेकिन कुछ हड्डियां बच जाती हैं जिन्हें अस्थियां कहा जाता है और इन्हें नदी में प्रवाहित किया जाता है।

शरीर के बदलाव: वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिकों ने दाह संस्कार के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों पर रिसर्च की है। इस शोध के मुताबिक, जब मृत शरीर को 670 से 810 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर जलाया जाता है, तो करीब 10 मिनट में शरीर पिघलने लगता है। 20 मिनट के बाद ललाट की हड्डी नरम हो जाती है और कपाल गुहा में दरारें आने लगती हैं। 30 मिनट के बाद त्वचा पूरी तरह जल जाती है और शरीर के अंदरूनी हिस्से दिखाई देने लगते हैं। 40 मिनट बाद आंतरिक अंग सिकुड़ने लगते हैं और 50 मिनट के बाद हाथ-पैर जलकर नष्ट हो जाते हैं। पूरी तरह से एक मानव शरीर को जलाने में लगभग 2 से 3 घंटे का समय लगता है।

कौन सा हिस्सा नहीं जलता?

जब शरीर को पूरी तरह जलाया जाता है, तो लगभग हर हिस्सा राख में बदल जाता है, लेकिन दांत पूरी तरह नहीं जलते। यह एकमात्र हिस्सा है जिसे जलाने पर भी आसानी से पहचान किया जा सकता है। इसके पीछे विज्ञान है। दरअसल, दांत कैल्शियम फॉस्फेट से बने होते हैं, जो काफी मजबूत होता है और इस कारण वे आग में पूरी तरह नहीं जलते। दांतों के अलावा शरीर का कोई अन्य हिस्सा इतना मजबूत नहीं होता कि वह दाह संस्कार की प्रक्रिया में बच सके। यही वजह है कि दाह संस्कार के बाद भी दांतों को पाया जा सकता है।

दांत न जलने के पीछे का कारण

दांतों का न जलना कैल्शियम फॉस्फेट की वजह से होता है, जो बेहद ऊँचे तापमान पर भी नष्ट नहीं होता। यही कारण है कि जब शरीर का बाकी हिस्सा जलकर राख में बदल जाता है, तब भी दांत बचे रह जाते हैं। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे जानकर कई लोग हैरान हो सकते हैं।​ दाह संस्कार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण संस्कार है जिसमें मृत शरीर को आग के हवाले करके उसे अंतिम विदाई दी जाती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो शरीर का लगभग हर हिस्सा जल जाता है, लेकिन दांत अपनी संरचना के कारण नहीं जलते हैं। यह जानना भी दिलचस्प है कि यह प्रक्रिया जीवन और मृत्यु के बारे में हमें और गहराई से सोचने पर मजबूर करती है।

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