आज मंगलवार का दिन है। सनातन धर्म में हफ्ते के सभी दिन किसी न किसी ईश्वर को समर्पित हैं। ऐसे में मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित माना जाता है। हनुमान बाबा को बजंरगबली, महावीर तथा संकट मोचन जैसे नामों से पुकारा जाता है। परम्परा है कि बजरंगबली की प्रेम एवं भक्ति से पूजन करने से जिंदगी के सभी संकट दूर हो जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे संकटमोचन हनुमान के हनुमान बाहुक पाठ की महिमा। प्रथा है कि यदि कोई शख्स लंबे वक़्त से बीमार चल रहा है, या बहुत वक़्त से असहनीय पीड़ा सह रहा है, तो उसे हनुमान बाहुक का पाठ अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है कि हनुमान बाहुक के पाठ में शारीरिक समस्याओं को हर लेने की क्षमता होती है। ये मनुष्य की समस्याओं को दूर कर देता है। यहां जानिए हनुमान बाहुक से संबंधित खास बातें।
तुलसीदास ने की थी रचना:-
परम्परा है कि हनुमान बाहुक भी तुलसीदास रचित रचना है। कथानुसार एक बार गोस्वामी तुलसी दास जी बेहद अधिक बीमार हो गए थे। उनकी समस्या बहुत बढ़ चुकी थी तथा उनके हाथ में दर्द असहनीय था। तब उन्होंने बजरंगबली से अपनी समस्या को दूर करने की प्रार्थना की तथा 44 चरणों की हनुमान स्तुति को पूरे भक्ति भाव से पढ़ा। उनकी भक्ति को देखकर बजरंगबली को उनके कष्टों को दूर करने के लिए आना पड़ा। 44 चरणों की वो स्तुति हनुमान बाहुक ही थी। तब से ये परम्परा है कि अगर घर में कोई बीमार शख्स हनुमान बाहुक के पाठ को पूरी भक्ति के साथ करे, तो उसके सभी कष्ट मिट जाते हैं।
ऐसे करना चाहिए हनुमान बाहुक का पाठ:-
हनुमान बाहुक का पाठ 26 या 21 दिनों तक निरंतर किया जाता है। इसे बजरंगबली की मूर्ति के समक्ष बैठकर पढ़ना चाहिए। पढ़ते वक़्त मूर्ति के समक्ष एक तांबे के पात्र में जल रखें। उस जल में तुलसी का पत्ता डाल दें। पाठ करने के पश्चात् हनुमान बाबा की आरती करें तथा तुलसी का पत्ता उसी जल से निगल लें। प्रतिदिन 26 या 21 दिनों तक ऐसा करने से सभी प्रकार की शारीरिक व्याधियों से छुटकारा प्राप्त होता है।
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