आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और खान-पान के चलते सेहत से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं, जिनमें एसिडिटी एक प्रमुख समस्या है। बाहरी और अनहेल्दी भोजन से शरीर में पित्त की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिससे कई तरह की परेशानियाँ हो सकती हैं।
पित्त का परिचय:
पित्त शरीर की गर्मी, तापमान और डाइजेस्टिव फायर को नियंत्रित करता है। यह पेट और छोटी आंत में पाया जाता है और भोजन पचाने तथा मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। पित्त की असंतुलित मात्रा से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है, जिससे खारिश, खुजली और जलन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
पित्त की प्रकार:
पाचक पित्त - भोजन पचाने में सहायक।
रज्जक पित्त - शरीर के विभिन्न अंगों में पित्त का नियंत्रण।
साधक पित्त - पित्त के कामकाज को सामान्य रखना।
आलोचक पित्त - पाचन क्रिया को नियंत्रित करना।
भ्राजक पित्त - त्वचा और अंगों की देखभाल करना।
पित्त दोष के लक्षण:
त्वचा पर जलन, खारिश, खुजली
छोटे-छोटे दाने और पस
गर्मी की अत्यधिक अनुभूति
अत्यधिक पसीना
अत्यधिक प्यास
एसिडिटी, कॉन्स्टिपेशन या लूज मोशन
पित्त बढ़ने से उत्पन्न समस्याएँ:
त्वचा पर काले दाग
पिंपल्स और रैशेज
पाचन संबंधी समस्याएँ
एसिडिटी और सूजन
पित्त को संतुलित करने के उपाय:
ठंडी चीजें शामिल करें - पानी, नारियल पानी, तरबूज।
गरम चीजों से बचें - ज्यादा मिर्च, मसालेदार भोजन, टमाटर, प्याज, लहसुन, तीखा, खट्टा।
कैफीन और शराब से परहेज - चाय, कॉफी, शराब।
सीजन के अनुसार डाइट - गर्मियों में ठंडी चीजें, सर्दियों में गर्म चीजें।
यदि पित्त बढ़ने के कारण स्किन या अन्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। एक बैलेंस डाइट अपनाने और मौसम के अनुसार खानपान से पित्त को नियंत्रित किया जा सकता है।
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