जयपुर: देश के इतिहास में पहली सावन में एक महीने तक शिवालयों में भोलेनाथ का न अभिषेक होगा, न घंटे-घटियालों की आवाज सुनाई देगी और न ही कावड़ यात्रा निकलेगी। इसके साथ ही इस साल सड़कों पर ओम नमः शिवाय, बम-बम भोले के जयकारे भी नहीं सुनाई देंगे. दरअसल, सावन का माह आते ही सड़कों पर कावड़ यात्रियों का काफिला उमड़ता दिखाई देने लगता हैं और शिव मन्दिरों में जलाभिषेक आरंभ हो जाता है ।
लेकिन इस बार राज्य की अशोक गहलोत सरकार के निर्देशों के तहत वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में पहली बार सावन में न तो कावड़ यात्रा उठेगी और न ही श्रद्धालु भगवान शिव के मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना कर पाएंगे. सावन में एक महीने तक भक्ति के रंग में सराबोर नजर आने वाली छोटीकाशी की रंगत इस साल फीकी रहेगी. बता दें कि सावन का महीना आरंभ होने के साथ ही शिवालयों में ओम नम: शिवाय, हर-हर महादेव, बोल बम के जयकारे सुनाई देने लगते हैं.
मंदिरों के बाहर बड़ी संख्या में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें भोलेनाथ का अभिषेक करने को आतुर रहती हैं. देश के विभिन्न कोनों से सैकड़ों शिव भक्त भोले की भक्ति में सराबोर होकर कांवड यात्राएं निकालते हैं. इस दौरान भगवान शिव के गलताजी समेत अन्य पवित्र नदियों से अपने कांवड़ में जल भरकर शिवालय पहुँचते हैं और भगवान का अभिषेक करते हैं. जलाभिषेक करने का अरमान सभी भक्तों के ह्रदय में होता है. लेकिन इस साल कोरोना के चलते यह संभव नहीं होगा।
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