पूरी दुनिया में कोरोना का प्रकोप जारी है. वहीं, इससे बचने के लिए हर संभव कोशिशे की जा रही है. हालांकि, कोरोना वायरस से जुड़े शोधों के बीच हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि डिमेंशिया का खतरा बनने वाले जीन के चलते, डिमेंशिया वाले मरीज में कोरोना वायरस होने का भी गंभीर खतरा हो सकता है. यह जानलेवा वायरस उन लोगों में ज्यादा पाया जा सकता है जिनमें डिमेंशिया से जुड़ा जीन मौजूद होता है. इसके रिजल्ट बड़े पैमाने पर किए गए शोध के आधार पर निकाले गए हैं. ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे कोरोना वायरस के इलाज के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं.
दरअसल, जर्नल ऑफ जेरोंटोलॉजी में छपे इस शोध के मुताबिक, कोरोना वायरस का खतरा उन लोगों में ज्यादातर देखने को मिलता है जिनके जीन ई4ई4 या एपीओई के वाहक होते हैं. इस बारे में तकरीबन 5 लाख लोगों के डेटा पर शोध किया गया है. इस शोध में हर 36वें व्यक्ति में वो जीन पाया गया है. इस शोध में बताया गया है कि इस जीन के लोगों में भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर का रिस्क 14 गुना ज्यादा हो सकता है. इतना ही नहीं इस जीन के कारण हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी आती है. ऐसे जीन वालों में कोरोना होने के चांस दोगुना अधिक होता हैं.
आपको बता दें की इस शोध से यह भी समाने आया है कि डिमेंशिया बीमारी वाले लोगों में गंभीर रूप से कोरोना होने की संभावना तीन गुना ताल ज्यादा होती है. जो की खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है.
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