रतलाम: दीपोत्सव के लिए माणकचौक स्थित लोकप्रिय महालक्ष्मी मंदिर में सजावट का काम तेज़ी से चल रहा है। बड़े आंकड़े में श्रद्धालु सजावट के लिए सोने-चांदी के आभूषण, सिक्के, मूर्तियां, हीरे-मोती, नोट एवं तिजोरी जैसी सामग्री लाने पहुंचे हैं। अब तक 400 से ज्यादा भक्त मंदिर में सजावट के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्री दे चुके हैं। मंदिर में सजावट के लिए 28 अक्टूबर तक सामग्री ली जाएगी। इस वक़्त मंदिर में नोटों से सजावट की जा रही है। सजावट का कार्य पूर्ण होने के पश्चात्, पांच दिवसीय दीपोत्सव के पहले दिन धनतेरस पर ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोले जाएंगे।
दीपोत्सव में नोट, सोने-चांदी के आभूषण, हीरे-मोती आदि से सजावट के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से मंदिर में दर्शन करने आएंगे। धनतेरस से आरम्भ होने वाले विशेष शृंगार के दर्शन श्रद्धालु भाईदूज तक निरंतर कर सकेंगे। तत्पश्चात, श्रद्धालुओं को उनकी दी गई सामग्री लौटाने का काम आरम्भ होगा। उल्लेखनीय है कि माणकचौक महालक्ष्मी मंदिर में भक्तजन अपनी इच्छा से नगदी, सोने-चांदी के जेवर, सिल्ली, हीरे-मोती आदि सामग्री शृंगार के लिए देते हैं। इस सामग्री से होने वाले विशेष शृंगार के लिए मंदिर देशभर में लोकप्रिय है।
पहले कुछ ही भक्त सामग्री देते थे, किन्तु साल 2008 के पश्चात् से सामग्री देने वाले भक्तों के आंकड़े में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। इससे शृंगार का स्वरूप भी विस्तारित हो गया है। रतलाम के अतिरिक्त बांसवाड़ा, दाहोद, पीथमपुर और अन्य जिलों से भी भक्त सामग्री देने रतलाम पहुंच रहे हैं। दी जाने वाली सामग्री को रजिस्टर में दर्ज कर श्रद्धालुओं को टोकन दिया जा रहा है, जिसके जरिए सामग्री वापस लौटाई जाएगी। पांच दिवसीय दीपोत्सव के दौरान सुरक्षा के लिए मंदिर समिति एवं पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंदिर में पुलिस जवान तैनात किए गए हैं तथा त्योहार के चलते भीड़ बढ़ने पर अतिरिक्त पुलिस बल भी लगाया जाएगा। मंदिर में लगे CCTV कैमरे का डिस्प्ले पास के माणकचौक थाने पर रहता है, जहां से मंदिर परिसर में होने वाली सभी गतिविधियों पर निगरानी रखी जाती है।
28 अक्टूबर तक श्रदलुओं से सामग्री ली जाएगी। अब तक 400 से ज्यादा भक्तों ने सजावट के लिए सोने-चांदी के आभूषण, रजत श्रीफल, सोने का बिस्किट, एवं चांदी का पासा जैसी सामग्री दी है। भाईदूज के पश्चात् रजिस्टर में दर्ज फोटो, टोकन आदि के आधार पर सामग्री संबंधित को लौटाई जाएगी। मान्यता है कि मंदिर में सजावट के लिए दी गई सामग्री को घर या प्रतिष्ठान की तिजोरी आदि जगहों पर रखने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। इसलिए भक्त दीपावली पर्व का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।
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