नवरात्रि का त्योहार वर्ष में चार बार मनाया जाता है. वर्ष की पहली नवरात्रि चैत्र माह में पड़ती है. जिसे चैत्र नवरात्रि बोलते हैं. जबकि दूसरी नवरात्रि आश्विन महीने में मनाई जाती है. जिसे शारदीय नवरात्र बोलते हैं. दो गुप्त नवरात्रि आषाढ़ तथा माघ के महीने में होते हैं. चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने की वजह से इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 दिन की नहीं, बल्कि 10 दिनों की होगी. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं (मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी) की साधना की जाती है। मान्यता है इन 9 दिन में तप, साधना करने वालों को दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त होती है। बता दें कि इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरम्भ 6 जुलाई से हो रहा है।
शनिवार से आरंभ होने की वजह से दुर्गा माता अश्व पर सवार होकर आएंगी. वैसे तो दुर्गा माता का वाहन सिंह है, किन्तु नवरात्रि में दिनों के मुताबिक, उनके अलग-अलग वाहन ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं. जब माता घोड़े पर सवार होकर आती है तो देश में और दुनिया भर में उपद्रव तथा अराजकता फैलने की संभावना होती है. जनता में असंतोष रहने की संभावना होती है. यद्यपि वर्षा की अधिकता रहेगी जो फसल के लिए किसानों के लिए शुभ योग है. दुर्गा सप्तमी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा. दुर्गा अष्टमी का व्रत 14 जुलाई को तथा महानवमी 15 जुलाई को होगी. उसी दिन भगवती मां का विसर्जन हो जाएगा.
गुप्त नवरात्रि महत्व
शास्त्रों के मुताबिक, इन दिनों मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने से सभी तरह के दुख दूर हो जाते हैं तथा घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. प्रत्येक युग में नवरात्रि का अपना अपना महत्व रहा है. सतयुग में चैत्र मास की नवरात्रि का ज्यादा प्रचलन था, वहीं त्रेतायुग में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का, द्वापर युग में माघ मास की गुप्त नवरात्रि तथा कलयुग में अश्विन और शारदीय नवरात्रि को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
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