दिवाली के पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत हो चुकी है। प्रत्येक वर्ष धनतेरस से दिवाली की शुरुआत हो जाती है, भाई दूज तक दीपावली का उत्सव चलता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी, गणेशजी, सरस्वती माता, कुबेर देवता, प्रभु श्री राम, माता सीता तथा हनुमानजी की पूजा की जाती है। वही इस बार दीपावली बहुत ही खास रहने वाली है क्योंकि कई दशकों के पश्चात् दिवाली पर एक साथ कई शुभ योग और राजयोग का निर्माण हुआ है। इस साल दिवाली आठ शुभ योगों में मनाई जाएगी।
जयोषाचार्य के अनुसार, इस बार लक्ष्मी गणेश पूजा के वक़्त कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है। इसके अतिरिक्त आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेगा। इस प्रकार से दिवाली आठ शुभ योगों में मनाई जाएगी। इस प्रकार का शुभ योग कई दशकों के पश्चात् बनने से इस बार दीपावली सभी के लिए सुख समृद्धि एवं मंगलमय रहेगी। स्वामी पूर्णानंदपुरी के मुताबिक, दीवाली पूजा में शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा आदि राजयोग बन रहे हैं, जिनमें गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह योग मान सम्मान का कारक होता है। वहीं हर्ष योग धन में वृद्धि एवं यश दिलाता है। काहल, उभयचरी और दुर्धरा योग शुभता और शांति दिलाता है। वहीं कई सालों पश्चात् इस बार शनि अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे। इसके अतिरिक्त आयुष्मान और सौभाग्य योग का निर्माण भी देखने को मिल रहा है।
इस समय रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त:-
इस दिन मुहूर्त में की गयी पूजा अनुष्ठान विशेष फलदाई होती है। इस दिन मिट्टी की प्रतिमा का पूजन करना जरुरी होता है, वहीं पूजा के बाद विसर्जन भी अत्यंत आवश्यक रहता है। लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त प्रातः कालीन बेला में 09:17 से 12:03 तक, दोपहर 01:24 से 02:45 तक तथा सांय कालीन बेला अथवा प्रदोष में 04:06 से 07:06 तक उसके बाद 07:35 से रात्रि पर्यन्त यानि 24:07 मिनट तक रहेगा। पूजा के उपरांत मिट्टी की मूर्तियों को पवित्र नदी में प्रवाहित करें, जिससे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा वर्ष भर रहेगी।
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