ज्योतिषशास्त्र के उपायों में मुख्य रूप से नौ रत्नों का वर्णन है परंतु ये रत्न काफी महंगे होते हैं और हर व्यक्ति इन्हें धारण नहीं कर पाता है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक रत्नों के स्थान पर उपरत्न भी पहने जा सकते हैं जो सस्ते भी होते हैं और कारगर भी साबित होते हैं।
उपरत्न और रत्न में अंतर बस इतना सा ही है कि रत्न ज्यादा लंबे समय तक काम करते हैं और उपरत्न कम समय तक ही अपना प्रभाव दिखा पाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक एक ग्रह के लिए मुख्य रूप से एक रत्न और कई सारे उपरत्न होते हैं। सही उपरत्न धारण करने से तुरंत लाभ होता है। आइए, जानते हैं महंगे रत्नों के स्थान पर आप कौनसे उपरत्न धारण कर सकते हैं।
सूर्य
माणिक्य सूर्य का मुख्य रत्न होता है। माणिक्य का सबसे अच्छा उपरत्न "स्पाइनल" होता है। इसे आप अनामिका अंगुली में तांबे में धारण कर सकते हैं।
चंद्रमा
मोती चंद्रमा का मुख्य रत्न होता है। मोती के स्थान पर चांदी में मूनस्टोन धारण करना उत्तम होता है।
मंगल
मूंगा मंगल का मुख्य रत्न होता है। लाल हकीक मूंगे का उत्तम उपरत्न है और इसे तांबे में धारण करना चाहिए।
बुध
पन्ना बुध का मुख्य रत्न होता है। मरगज सबसे अच्छा उपरत्न है और इसे चांदी में धारण करना शुभ होता है।
बृहस्पति
पीला पुखराज बृहस्पति का मुख्य रत्न होता है। पीला बैरुज सबसे अच्छा उपरत्न है और इसे पीतल या स्वर्ण में धारण करना शुभ रहता है।
शुक्र
हीरा शुक्र का मुख्य रत्न है। ओपल हीरे का सबसे अच्छा उपरत्न है और इसे चांदी में धारण करना चाहिए।
शनि
नीलम शनि का मुख्य रत्न होता है। तंजनाईट नीलम का सबसे अच्छा उपरत्न है और इसे चांदी में धारण करना शुभ रहता है।
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