MP के इस गांव को कहा जाता है 'मिनी गोवा', नजारा देखकर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे आप

MP के इस गांव को कहा जाता है 'मिनी गोवा', नजारा देखकर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे आप
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मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील में स्थित गांधीसागर बांध के किनारे बसा ग्राम कंवला हाल ही में अपनी सुंदरता और प्राकृतिक आकर्षण के कारण चर्चा में है। यह गांव अपने अद्वितीय भौगोलिक स्वरूप और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य के कारण 'मिनी गोवा' के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है। गांधीसागर झील के किनारे स्थित इस गांव का दृश्य किसी भी समुद्र तट से कम नहीं लगता, और यह पर्यटकों को समुद्र तट का अनुभव कराता है।

गांधीसागर झील और प्राकृतिक सौंदर्य
ग्राम कंवला गांधीसागर झील से तीन तरफ से घिरा हुआ है। गांधीसागर बांध के विशाल जलाशय में भरे अथाह पानी में हवा के साथ उठती लहरें हूबहू समुद्र की तरह प्रतीत होती हैं। पानी की सतह पर सूर्य की किरणों का पड़ना और लहरों का किनारों से टकराना एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करता है। इस झील के किनारे दो विशाल शिलाखंड हैं, जो गांव की आबादी से दूर दक्षिण दिशा में स्थित हैं। इन शिलाखंडों को 'चिड़ी वाला पत्थर' के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इनमें अबाबिल पक्षी ने मिट्टी से सुंदर घरौंदे बनाए हुए हैं।

रेत के किनारे और समुद्र तट जैसा अनुभव
गांधीसागर झील की लहरें पछुआ हवाओं के साथ चट्टानों से टकराकर रेत को किनारों की ओर धकेलती हैं, जिससे किनारे समुद्र तट के समान आकार लेते हैं। लगातार लहरों के आने से किनारों पर रेत जमा हो जाती है, जो पर्यटकों को समुद्र तट जैसा अनुभव प्रदान करती है। यही कारण है कि यहां आने वाले पर्यटक इसे 'मिनी गोवा' कहने लगे हैं। दिन भर लहरें किनारों से टकराकर अपनी उपस्थिति का अहसास कराती हैं और शाम होते-होते हवा के साथ लहरों का जोश बढ़ जाता है। विपरीत दिशा की हवा होने पर पानी शांत रहता है और इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है।

वन्य जीवन और पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण
चंबल नदी की लहरों और पर्यटकों की आवाजाही के बीच इन विशाल शिलाखंडों के आसपास का जीवन भी अत्यंत रोचक है। दिनभर अबाबिल पक्षी अपने चूजों के लिए भोजन लाते हैं और शाम होने पर वे घरौंदों से निकलकर आसमान में लगातार चक्कर लगाते रहते हैं। यह दृश्य पक्षी प्रेमियों के लिए बेहद आकर्षक होता है।

सूर्यास्त का अद्वितीय दृश्य
ग्राम कंवला का सूर्यास्त का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। एक ओर सूरज की किरणें पानी पर पड़ती हैं, जिससे पानी का नजारा सुनहरा हो जाता है। दूसरी ओर, आसमान में अबाबिल पक्षियों का झुंड हवा के साथ होड़ लगाता रहता है। सूर्यास्त के साथ धीरे-धीरे सब कुछ शांत हो जाता है और यह दृश्य देखने वालों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होता है। इन शिलाखंडों में आदि मानव द्वारा लाखों वर्ष पूर्व बनाए गए शैल चित्र भी पाए जाते हैं, जो ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व रखते हैं।

ग्राम कंवला तक पहुंचने के मार्ग
ग्राम कंवला मंदसौर जिला मुख्यालय से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए कई मार्ग उपलब्ध हैं:
मंदसौर से सड़क मार्ग: मंदसौर से गरोठ-भानपुरा होकर गांधीसागर मार्ग पर स्थित ग्राम कंवला पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन से यात्रा: उज्जैन और इंदौर से आने वाले पर्यटक ट्रेन से शामगढ़ या भवानीमंडी स्टेशन पर उतरकर भानपुरा होते हुए ग्राम कंवला पहुंच सकते हैं।
बस से यात्रा: उज्जैन और इंदौर से बस से आने वाले पर्यटक आगर, बड़ोद, डग और गरोठ होते हुए कंवला पहुंच सकते हैं।
भानपुरा से मार्ग: भानपुरा तहसील मुख्यालय से ग्राम कंवला 8 किलोमीटर दूर है। गांव के आबादी क्षेत्र के बाद कच्चा प्राकृतिक मार्ग है जो सीधे मिनी गोवा में पहुंचाता है।

ग्राम कंवला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के कारण पर्यटकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनता जा रहा है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व पर्यटकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं। यदि आप प्राकृतिक सौंदर्य, शांत वातावरण और ऐतिहासिक धरोहरों का आनंद लेना चाहते हैं, तो ग्राम कंवला आपके लिए एक आदर्श स्थान हो सकता है।

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