नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 22 मार्च को दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के कविता को राहत देने से इनकार कर दिया। इस मामले में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और BRS प्रमुख के।चंद्रशेखर राव (KCR) की बेटी को एक सप्ताह पहले गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की विशेष पीठ ने के कविता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई की गई, कविता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पेश हुए। सिब्बल ने अनुरोध किया कि इस मुवक्किल को वापस हाई कोर्ट न भेजा जाए। सिब्बल ने कहा कि, “केवल एक अनुरोध, कृपया मुझे उच्च न्यायालय वापस जाने के लिए न कहें। देखिए हमारे देश में क्या हो रहा है। सभी बयान अनुमोदकों के हैं, जो कुछ हो रहा है उससे मैं बहुत परेशान हूं।''
पीठ ने सिब्बल को जवाब देते हुए कहा कि उन्हें भावुक नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि, “भावुक मत होइए, हम विजय मदनलाल की चुनौती सुन रहे हैं। जमानत के मामले में जितना उचित है, हम बहुत स्पष्ट हैं कि आपको ट्रायल कोर्ट से गुजरना होगा। हम सभी स्पष्ट हैं कि केवल इसलिए कि यह एक राजनीतिक व्यक्ति है, हम राहत नहीं दे सकते।'' कोर्ट ने कहा कि, “आप हमसे जो करने के लिए कह रहे हैं वह संभव नहीं है, जो होने जा रहा है वह यह है कि हर कोई अनुच्छेद 32 के तहत आने वाला है। आप गुण-दोष के आधार पर दलीलें नहीं दे सकते, तो हम इसे नहीं सुन सकते, हम नोटिस जारी करेंगे और मुख्य केस के साथ पर सुनवाई करेंगे।”
अदालत ने के कविता को यह कहते हुए राहत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने का निर्देश दिया कि मामला एक राजनीतिक व्यक्ति से संबंधित है और ऐसे मामले में प्रथा एक समान है। BRS नेता को ट्रायल कोर्ट से संपर्क करने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि यदि जमानत याचिका दायर की जाती है, तो उस पर शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का इतिहास लिखा जाएगा, यह कोई स्वर्णिम काल नहीं होगा।
सिब्बल ने कविता का बचाव करते हुए कहा कि, "एक बात कहु क्या? मुझे आशा है कि आप बुरा नहीं मानेंगे। इस न्यायालय का इतिहास लिखा जाएगा और यह कोई स्वर्णिम काल नहीं होगा।'' न्यायमूर्ति खन्ना ने जवाब देते हुए कहा, "चलो देखते हैं।"
उल्लेखनीय है कि, जब भी कोई निर्णय या कार्रवाई उनके हितों के खिलाफ जाती है तो विपक्ष को ऐसे सभी राज्य संस्थानों को बदनाम करने की आदत है। न्यायपालिका को सिब्बल की मौन धमकी से पता चलता है कि कैसे भारत में सर्वोच्च न्यायालय भी विपक्ष का निशाना बन गया है, क्योंकि फैसले उनकी जवाबदेही का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करने वाला था। लेकिन AAP ने अपनी याचिका वापस ले ली, उन्होंने कहा की वो निचली अदालत में अपनी बात कहेंगे। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की अर्जी के तुरंत बाद ED ने भी केवियट दाखिल कर दी थी कि हमारा पक्ष सुने बिना अदालत फैसला न सुनाए। जिसके बाद केजरीवाल ने अपनी याचिका वापस ले ली।